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मुंबई, ९० के दशक का प्रसिद्ध ‘इलू-इलू’ गीत एक बार फिर चर्चा में आ गया है। एमएमआरडीए की संकल्पना से बीकेसी की सड़कों पर दौड़ रही युलू ई-बाइक को लेकर सरकारी अधिकारी से लेकर आम लोग ये गाना गुनगुना रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह यह बाइक पर्यावरण के अनुकूल साबित हो रही है। बीते एक वर्ष में इस ई-बाइक से पर्यावरण के लिए घातक कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आई है। एक वर्ष में १० लाख किलोमीटर चली इस पर्यावरण पूरक ई-बाइक से एक लाख किलो कार्बन उत्सर्जन घटा है।
बता दें कि बीकेसी में युलू ई-बाइक की शुरुआत बीते वर्ष सितंबर में हुई थी। ई-बाइक के ऑपरेटर ने दावा किया है कि बीकेसी की सड़कों पर युलू ई-बाइक के आने से पिछले एक साल में कमर्शियल हब बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के वातावरण में कार्बन उत्सर्जन से होनेवाले प्रदूषण की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आई है। इससे करीब एक लाख किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन को रोकने में कामयाबी मिली है।
बीते वर्ष बांद्रा, कुर्ला और बीकेसी में शुरू की गई युलू ई-बाइक को लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिला है। इसे देखते हुए अब आनेवाले महीनों में इसके परिचालन का विस्तार किया जा रहा है। विस्तार से पहले पश्चिमी और पूर्वी उपनगरों में ५०० बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इसके बाद मुंबई सहित देश भर में ई-बाइक्स अपने बेड़े का विस्तार करेगी। फिलहाल नई मुंबई में भी ४५० युलू र्ई-बाइक सड़कों पर दौड़ रही है।
अगले १८ महीनों में अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लि. (एईएमएल) की मदद से ५०० बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जो ई-बाइक को बिजली की आपूर्ति करेगा। यदि सफर के दौरान उपयोगकर्ता को युलू बाइक से कम बैटरी का संकेत मिलता है तो चालक इसे समीप के बैटरी स्वैपिंग स्टेशन या युलू पार्किंग स्थल पर छोड़ सकते हैं।



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