पैरोल का बड़े स्तर पर दुरुपयोग
मुंबई, निचली अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए अपराधियों
को उच्च न्यायालय जमानत न दे, ऐसा आदेश हाल ही में देश के सर्वोच्च
न्यायालय ने जारी किया है। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय पेशेवर
अपराधियों से मिले पिछले तजुर्बों पर आधारित है। लेकिन यही विचार सजा
प्राप्त वैâदियों को पैरोल या फर्लो के मामले में भी किया जाना चाहिए।
क्योंकि मानवता के आधार पर मिलने वाली सहूलियतों का वैâदी बड़े स्तर पर
दुरुपयोग करने लगे हैं। इंदौर और दिल्ली में पैरोल पर छूटे तीन ऐसे ही
वैâदी इन दिनों चर्चा में हैं।
गर्लफ्रेंड की हत्या की कोशिश के जुर्म
में एक युवक को उम्रवैâद की सजा मिली थी। हाल ही में जब कोरोना के कारण उसे
पैरोल पर जेल से बाहर निकलने का मौका मिला तो वह उस गर्लप्रâेंड को कत्ल
करने की मंशा से ढूंढ़ रहा था लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई और वह पकड़ा
गया। लेकिन ऐसे ही दो अन्य मामलों में एक शख्स को अपनी जान गंवानी पड़ी तो
एक अन्य महिला अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
दिल्ली के
उत्तम नगर निवासी महमान सिंह ने वर्ष २००७ में अपनी गर्लप्रâेंड पर चाकू से
जानलेवा हमला किया था क्योंकि गर्लप्रâेंड उसकी प्रॉपर्टी हथियाना चाहती
थी। इसे खुशनसीबी ही कहेंगे कि उस हमले में गंभीर रूप से घायल महमान सिंह
की गर्लप्रâेंड को अस्पताल में डॉक्टरों ने मौत के मुंह में जाने से बचा
लिया। लेकिन वर्ष २०१२ में अदालत ने आरोपी महमान सिंह को गर्लप्रâेंड की
हत्या के प्रयास के मामले में दोषी मानते हुए उम्रवैâद की सजा सुना दी।
गर्लप्रâेंड की हत्या करने में नाकाम रहे महमान सिंह को उम्रवैâद की सजा
खलने लगी। हाल में जब वह कोरोना के कारण पैरोल पर जेल से बाहर निकला तो वह
गर्लप्रâेंड की तलाश करने लगा। वह इस बार गर्लप्रâेंड को मारे बिना वापस
जेल नहीं जाना चाहता था। इसलिए पैरोल की अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी वह
अपनी गर्लप्रâेंड की तलाश में जुटा था। दूसरी तरफ पैरोल की अवधि खत्म होने
के बाद भी जब वह वापस जेल नहीं लौटा तो पुलिस उसे ढूंढ़ने लगी। इसी दौरान
द्वारका जिला की वाहन चोरी निरोधक शाखा को सूचना मिली कि एक बदमाश पैरोल की
अवधि खत्म होने के बाद अपनी गर्लप्रâेंड की हत्या की साजिश रच रहा है। ८
सितंबर को पुलिस ने बदमाश की पहचान कर उसे गिरफ्तार कर लिया।