नायर अस्पताल को राज्य सरकार की ओर से १०० करोड़ रुपए देने की घोषणा
मुंबई, टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज और वाईएल नायर अस्पताल के ‘सेवा के शतक’ पूरे हो चुके हैं। नायर अस्पताल को राज्य सरकार की ओर से १०० करोड़ रुपए देने की घोषणा कल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने की। उन्होंने कहा कि कोविड से सौ साल पहले स्पैनिश फ्लू पैâला था। मुझे नहीं लगता कि अब इसके बारे में कोई जानता होगा। कोरोना काल में क्या किया गया था? भविष्य में जब दूसरा कोई वायरस आएगा, तब क्या करें? इसलिए कोरोना की जानकारियां आधिकारिक रूप से पंजीकृत करने की आवश्यकता है। यह जानकारी ५०-१०० साल बाद भी उपलब्ध रहेगी। सैकड़ों साल पहले, कई दानवीरों ने दान दिया और मदद की इसलिए आज हमें नायर जैसे संगठन के माध्यम से जीवनदान मिल रहा है।
मुंबई मनपा के टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज और वाईएल नायर अस्पताल का शताब्दी समारोह कल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इम्यूनोलॉजी, सर्जिकल स्किल्स और कंप्यूटर आधारित शिक्षा इन तीन प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को लंबी उम्र देनेवाली संस्था आज अपनी शताब्दी मना रही है। इस संगठन की यात्रा अद्भुत है। इस संगठन ने दिखाया है कि विपरीत समय में मेहनत और लगन से क्या किया जा सकता है। इस अस्पताल के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी संस्था की स्थापना के बाद से दूसरों की जान बचाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। आज मंदिर और पूजा स्थल बंद हैं। भगवान न केवल मंदिरों और पूजा स्थलों में बल्कि डॉक्टरों के रूप में भी मरीजों की जान बचा रहे हैं। कोविड का संकट बेहद कठिन था। इस संकट से निपटने के लिए किए गए व्यापक उपायों के कारण राज्य सरकार और प्रशासन की सराहना हो रही है लेकिन इसका पूरा श्रेय डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को जाता है।
महापौर किशोरी पेडणेकर ने कहा कि भविष्य में किसी भी संकट का मुकाबला करने के लिए मुंबई की स्वास्थ्य मशीनरी तैयार है। इस अवसर पर मुंबई शहर के पालक मंत्री असलम शेख, मुंबई उपनगर के पालक मंत्री आदित्य ठाकरे, विधायक यामिनी जाधव, उपमहापौर सुहास वाडकर, मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल, नायर अस्पताल अधीक्षक डॉ. रमेश भारमल आदि मौजूद थे।
कस्तूरबा अस्पताल में पहली प्रयोगशाला ऐसे समय में परीक्षण के लिए शुरू की गई थी, जब २००५ में मुंबई बाढ़ के बाद लेप्टो और डेंगू का खतरा बढ़ रहा था। कोरोना काल की शुरुआत में जांच के लिए कस्तूरबा और पुणे की एनआईवी केवल दो प्रयोगशालाएं थीं, आज प्रयोगशालाओं की संख्या ६०० से ज्यादा हो गई है। राज्य में अब बिस्तरों की संख्या बढ़कर साढ़े चार लाख हो गई है। कोरोना के डेल्टा वैरीएंट की जांच के लिए कस्तूरबा अस्पताल में जिनोम सीक्वेंसिंग लैब की स्थापना की गई है।