लोकल पर निर्णय जल्द - मुख्यमंत्री
मुंबई, महानगर में कोरोना कंट्रोल में आ गया है, लेकिन अभी भी कोरोना का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। इसलिए आम लोगों के लिए लोकल सेवा शुरू करने के विषय पर सरकार अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगी, ऐसी स्पष्ट भूमिका गुरुवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी के लिए लोकल शुरू करने के विषय पर जल्द ही जनता से संवाद कर निर्णय लिया जाएगा।
कोरोना की दूसरी लहर के चलते लोकल सेवा सिर्फ अत्यावश्यक सेवा से जुड़े कर्मचारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए शुरू है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से मुंबई में कोरोना मरीजों की संख्या कंट्रोल में आई है। नतीजतन, सभी के लिए लोकल सेवा कब शुरू होगी? यह सवाल आम जनता की तरफ से उठने लगा है। इसी तरह कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके लोगों को लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति देने संबंधी जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालय में दायर की गई है।
मुख्यमंत्री ‘एच वेस्ट’ वार्ड के नए कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर परिवहन मंत्री अनिल परब, पर्यटन एवं पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, महापौर किशोरी पेडणेकर, उप महापौर सुहास वाडकर, सुधार समिति के अध्यक्ष सदानंद परब, मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल, अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकाणीr भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोरोना को लेकर अलग-अलग स्थिति है। कुछ स्थानों पर कोरोना कंट्रोल में है, तो कुछ जगहों पर अब भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसीलिए सभी का खयाल कर निर्णय लेना होगा। विचारपूर्वक ही निर्णय लिया जाएगा। जहां संभव है, वहां कोरोना पाबंदियों के नियमों में शिथिलता दी गई है। जहां शिथिलता नहीं देने लायक है, वहां कोई विकल्प नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वहां हमेशा ही बंद रहेगा। लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर वहां उचित निर्णय लिया जाएगा।
पत्रकारों के लिए १२ अगस्त तक निर्णय लें – हाई कोर्ट
कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वालों के लिए लोकल यात्रा शुरू करने को लेकर सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। लेकिन वकीलों और उच्च न्यायालय में कार्यरत कारकून, स्टेनोग्राफर आदि को रेलवे में यात्रा करने की अनुमति दी हैै। इस मामले पर वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके मुंबईकरों और पत्रकारों को लोकल यात्रा के लिए १२ अगस्त तक सकारात्मक निर्णय लेने का आदेश मुंबई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को दिया है।