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मुंबई, देश में बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। महिलाएं व बच्चियां घरों में ही सुरक्षित नहीं रह गई हैं। अपनों द्वारा ही उन्हें हवस का शिकार बनाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसी कोई घटना जब घटती है तो लोगों का मन आक्रोश से भर जाता है। लोग बलात्कारियों को इस्लामिक कानूनों की तर्ज पर मौत की सजा दिए जाने की हिमायत करने लगते हैं। इन सबके बीच मुंबई की एक अदालत द्वारा दिया गया एक फैसला इन दिनों चर्चा का विषय बना है। अदालत ने एक ४५ वर्षीय बलात्कारी को सिर्फ पांच साल की सजा सुनाई है। आरोपी पर अपनी ही ७ साल की बेटी के यौन शोषण का आरोप लगा था। इतने घिनौने अपराध के कारण अदालत के इस फैसले पर लोग हैरानी जता रहे हैं।
बूढ़े व दिव्यांग सहानुभूति के पात्र होते हैं। उनकी सहायता करनी चाहिए लेकिन एक कुकर्मी बाप अपनी ही ७ वर्षीय दिव्यांग बेटी को हवस का शिकार बनाता था। उसकी पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। अब अदालत ने उस कुकर्मी को पांच साल कैद की सजा सुनाई है।
यह घटना ३ साल पुरानी है। वर्ष २०१८ में पालघर जिले की निवासी पीड़ित महिला ने अपने पति के खिलाफ बेटी के यौन शोषण का आरोप लगाया था। महिला लोगों के घरों में चौका-बर्तन का काम किया करती है, जबकि उसका पति सफाईकर्मी था। पति को शराब की लत थी। महिला के अनुसार उनकी शादी २३ साल पहले हुई थी। विवाह के बाद कई वर्षों तक वे संतान के लिए तरसते रहे। वर्ष २०११ में उनकी बेटी का जन्म हुआ, जो कि दिव्यांग थी। बेटी के जन्म के बाद पति का व्यवहार एकदम से बदल गया। वह बेटी के जन्म से खुश नहीं था। उस पर बेटी के दिव्यांग होने से दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ते गए।

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