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मुंबई, मुंबई में पेट्रोल १०३ रुपए और डीजल के भाव सौ रुपए प्रति लीटर के करीब पहुंच चुका है। इसका सीधा असर सामान्य लोगों पर दिखाई देने लगा है क्योंकि रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी हो रही हैं। दूसरी ओर ट्रांसपोर्टर पुराने मूल्यों पर काम करने के लिए मजबूर हैं, तेल के भाव रोज महंगाई का नया रिकॉर्ड बना रहे हैं। बावजूद इसके बढ़ोतरी नहीं हो रही है। ऐसे में लॉकडाउन से लेकर अब तक करीब ३५ प्रतिशत ट्रांसपोर्टर ने व्यापार बंद कर दिया है। ऐसे में ट्रांसपोर्टरों का गुस्सा केंद्र सरकार पर पूâटने लगा है।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के चेयरमैन बल मिल्कित सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से पहले भी काम प्रभावित हुआ है। पिछले डेढ़ साल में करीब ३५ प्रतिशत ट्रांसपोर्टर ने व्यापार बंद कर दिया। देशभर में करीब एक करोड़ ट्रक हैं लेकिन अब केवल ६०-६५ प्रतिशत रोड पर चल रहे हैं। सिंह ने बताया कि कई ऑपरेटर्स को रिकवरी एजेंट्स के फोन आने लगे हैं और उन पर आर्थिक दबाव बनने लगा है। छोटे ऑपरेटर्स में तनाव और आत्महत्या की प्रवृति बढ़ती जा रही है।
एसएनजीटी ग्रुप ऑफ कंपनीज के निदेशक चिराग कटीरा बताते हैं कि पिछले पांच सालों में र्इंधन के दाम दोगुने हो चुके हैं, जो बीएस ४ श्रेणी का वाहन पहले १५ लाख तक मिलता था, बीएस ६ में उसकी कीमत लगभग २९ लाख रुपए हो चुकी है। वाहनों के टायर के दाम दोगुने हो चुके हैं लेकिन व्यापार आधे से भी कम हो गया और मूल्यों में बढ़ोतरी बहुत ही कम हुई है। चिराग ने बताया कि पहले इस इंडस्ट्री में लोगों को फायदा नजर आता था, तब लोगों ने आंखें मूंदकर इन्वेस्ट किया और अब ईएमआई और ड्राइवरों को देने के लिए पैसे भी नहीं हैं।
चिराग कटीरा ने बताया कि जिन पुरानी पार्टियों के साथ १५-२० साल से व्यापार हो रहा था, अब उन्हें मूल्य बढ़ाने के लिए कहते हैं तो कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया जाता है इसलिए छोटे ट्रांसपोर्टर दाम नहीं बढ़ा रहे हैं और फिलहाल इंडस्ट्री में बने रहने का संघर्ष कर रहे हैं।


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