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मुंबई,  अपराधियों को जेल में सुधारने के लिए रखा जाता है। ताकि वहां उन्हें अपने किए पर पछतावा हो और वे भविष्य में अपराध करने का दुस्साहस न कर सकें। लेकिन जेलें अपराधियों का ट्रेनिंग सेन्टर बनती जा रही हैं। वहां छोटे अपराधियों को बड़ा अपराधी बनने की ट्रेनिंग और टॉनिक मिलती है। इसका उदाहरण एक चीटर के मामले में देखने को मिला है। उसके खिलाफ वर्ष 2010 में 3 मामले साकीनाका, ओशिवरा तथा अंबोली पुलिस थाने में तो वहीं वर्ष 2016 में 2 मामले एन.एम. जोशी मार्ग व दादर पुलिस थाने में दर्ज हुए थे। इसी तरह के किसी आपराधिक मामले की वजह से वह अतीत में करीब 10 साल तक मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद भी रहा था लेकिन जेल से छूटने पर वह फिर से ठगी करने लगा। हाल ही में मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने उसे चीटींग के नए मामले में गिरफ्तार किया है। यानी कि जेल में मिले तजुर्बे से वह दुस्साहसी हो गया। बॉलीवुड में अपना या अपने बच्चों का करियर बनाने का सपना देखने वालों को वह शिकार बनाने रहा था।
बता दें कि विमान के कल पुर्जों का कारोबार करनेवाले एक व्यवसायी ने बीकेसी स्थित साइबर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक ठग ने उनकी बेटी को फिल्म ‘बच्चों की दुनिया’ फिल्म में मुख्य भुमिका देने का झांसा देकर 32 लाख 64 हजार 440 रुपए ठग लिए थे। साइबर पुलिस की टीम ने बोरीवली-पूर्व में रहने वाले कारोबारी की शिकायत पर जांच शुरू की तो पता चला कि उक्त ठग मूलरूप से गुजरात के अमदाबाद जिले का निवासी है। वह लोगों को अपना नाम डॉक्टर ऋषी श्रॉफ उर्फ याने 1 बताता था। वह उच्च शिक्षित है। उसने मुंबई के एक प्रतिष्ठित कॉलेज के अलावा अमेरिका के बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की थी और बाद में मुंबई में एक्टिंग का कोर्स भी किया है। वह दस साल तक विज्ञापन इंडस्ट्री में सक्रिय रहा और इस दौरान कई प्रतिष्ठित उत्पादों के विज्ञापन में काम किया। वह फिल्मी कलाकारों एवं दूसरे कर्मचारियों से संबंधित कई संस्थाओं का सदस्य भी बना। बाद में उसने अरमान फिल्म्स के बैनर तले ‘ट्रांस’ नाम से फिल्म का टाइटल बुक करके फिल्म का निर्माण शुरू कर दिया। करीब 25 लाख रुपए उसने खर्च कर दिये लेकिन बाद में पैसों का जुगाड़ नहीं हुआ तो वह जारा किड्स, जारा वर्ल्ड आदि नामों से फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को खासकर उनके छोटे बच्चों को विज्ञापनों, टीवी सीरियल एवं फिल्मों में ब्रेक दिलाने का झांसा देकर ठगी करने लगा। जांच के दौरान साइबर पुलिस कथित डॉक्टर ऋषी की कार्यशैली देखकर हैरान रह गई। वह बेरोजगार बच्चों को इश्तेहार, पोस्टर बैनर आदि देकर माल्स के बाहर खड़ा करता था तथा एक्टींग से शौकीन लोगों को या उनके बच्चों को ब्रेक दिलाने का झांसा देकर उनकी जानकारी जुटाता था। इसके अलावां उसने विभिन्न वेबसाइटों से खासकर महंगी कार रखनेवाले, डॉक्टर, सीए व दूसरे करीब 50 लाख पेशेवर लोगों का डाटा जुटा रखा था। बाद में मोबाइल, व्हाट्सऐप पर एल्ली ऐडवर्टाइज़िंग, फोर्ड  ऐडवर्टाइजिंग, जारा  ऐडवर्टाइजिंग, कॉस्मोपोलीटीयन मॉडल्स आदि फर्जी वेबसाइटों के जरिए मैसेज भेज कर वह शिकार ढूंढता था और उन्हें जाल में फांस कर लाखों रुपए ऐंठ लेटा था।

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