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मुंबई,  राकांपा के २२वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि मराठा आरक्षण, निकाय संस्थाओं का मसला हमें सुलझाना होगा। सत्ता अधिक लोगों के हाथ में जानी चाहिए। सत्ता एक ही के पास रहे तो भ्रष्ट हो जाती है। सत्ता भ्रष्ट न हो इसलिए अधिक लोगों के हाथ में जानी चाहिए। यदि यह स्वीकार है तो समाज के प्रत्येक वर्ग को लगना चाहिए कि वे भी सत्ता के भागीदार हैं।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री व्यक्तिगत मिलें तो कुछ लोगों ने कई तर्वâ-वितर्वâ निकाले और संदेह किया लेकिन संदेह व्यक्त करनेवाले लोग नंदनवन में रह रहे हैं। शरद पवार ने कहा कि शिवसेना विश्वसनीय पार्टी है। इससे पहले शिवसेना के साथ हमने कभी काम नहीं किया लेकिन शिवसेना को कई वर्षों से देख रहे हैं। पवार ने कहा कि जब जनता पार्टी का राज आया, उस कालखंड में हुए चुनाव में हर तरफ कांग्रेस की पराजय हुई थी। उस समय कांग्रेस को समर्थन देने केवल एक ही पार्टी आगे आई, वह थी शिवसेना। कांग्रेस के समर्थन में शिवसेना न केवल आगे आई बल्कि इंदिरा गांधी की मदद करने के लिए शिवसेना ने अपना एक भी उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में नहीं खड़ा करने का निर्णय लिया। क्या किसी पार्टी का नेता ऐसा निर्णय लेता है, इसका विचार करिए। शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने इसकी कोई परवाह नहीं की। इंदिरा गांधी को दिया गया वचन उन्होंने शिवसेना को चुनाव न लड़ाकर निभाया। आज कोई कितना भी संदेह करे फिर भी शिवसेना जिस तरह से उन दिनों अपनी भूमिका पर अडिग रही, वह भूमिका छोड़ने के लिए कोई कहे तो वैसा नहीं होगा।
शरद पवार ने कहा कि कुछ लोग पार्टी छोड़कर चले गए, उससे नए लोग और नया नेतृत्व तैयार हुआ। मंत्रिमंडल में कई लोग नई जिम्मेदारी निभाने में सफल हो रहे हैं। देश में कोरोना इतना बड़ा संकट आने पर महाराष्ट्र में गंभीर स्थिति थी। संकट का सामना करने और लोगों को विश्वास दिलाने के लिए राजेश टोपे के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग ने काम किया। इसकी बदौलत लोगों को विश्वास हो गया कि हम सभी संकटों से बाहर निकल सकते हैं। राजेश टोपे, राजेंद्र शिंगणे सभी ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियां अच्छी तरह निभाई हैं।


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