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उल्हासनगर : उल्हासनगर के संत ज्ञानेश्वर नगर में घर-घर में हो रही स्वैब टेस्टिंग स्टिक की पैकिंग की ख़बर ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को जांच करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट करवाई जाती है। उक्त टेस्ट द्वारा पता चलता है कि मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव है या निगेटिव, जांचकर्ताओं के नाक में और गले मे उक्त स्टिक डालकर स्वैब लिया जाता है और वो स्टिक उल्हासनगर में खुलेआम पैकिंग हो रही थी। उक्त मामले में स्थानीय पुलिस ने मुख्य आरोपी मनीष केसवानी के बाद अब ठाणे की बायोसंस फार्मा कंपनी के सीईओ कंपनी के अन्य 1 कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। इस मामले अब तक 3 लोगों को गिरफ्तार किया है।

जानकारी के अनुसार, पुलिस को लगता है इसमें पैकिंग करनी वाली गरीब महिलाओं का कोई दोष नहीं क्योंकि उनको पता ही नहीं था कि वह क्या पैकिंग कर रही है। शहर के हर घर में इस तरह की अलग-अलग चीजों की पैकिंग चलती ही रहती है। उल्हासनगर के संत ज्ञानेश्वर नगर में घर-घर में हो रही स्वैब टेस्टिंग स्टिक की पैकिंग का मामला सोशल मीडिया में उजागर होते ही पुलिस और मनपा प्रशासन हरकत में आया था। 2 दिन पहले ठेकेदार मनीष केसवानी को उल्हासनगर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार उनको जिस कंपनी ने काम दिया था उस बायोसंस कंपनी के सीईओ अभिषेक सेन और कल्पेश हेगडे को  गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए इन लोगों से पुलिस यह भी पता लगा रही है कि इसके अलावा और किन शहरों में इस तरह का गोरखधंधा चलाया जा रहा है व इस रैकेट से जुड़े कहा सप्लाई करते थे और विगत कितने दिनों से यह काम शुरू था। 

इस संदर्भ में उल्हासनगर पुलिस के वरिष्ठ पुलिस  निरीक्षक राजेंद्र कदम ने स्थानीय पत्रकारों को बताया कि ठाणे के वागले इस्टेट  स्थित बायोसंस कंपनी ने मनीष केसवानी के साथ पैकेजिंग का एग्रीमेंट किया था, लेकिन ठेकेदार द्वारा नियमों की अनदेखी की गई है। कदम ने कहा कि इस मामले में अब तक 3 को गिरफ्तार किया गया है।


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