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मुंबई : लॉकडाउन की आशंका के चलते मुंबई और आसपास के शहरों में रहने वाले प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य की ओर पलायन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव और गेंहू कटाई का सीजन शुरू होने के कारण मजदूरों को घर वापसी कुछ ज्यादा ही रास आ रही है। मुंबई से यूपी-बिहार की तरफ जाने वाली ट्रेने जहां फुल हैं, वहीं उत्तरभारत से आने वाली ट्रेनों में भीड कम हुई है। पिछले साल कोरोना महामारी शुरू होने के बाद मार्च में शुरू हुए पलायन में लाखों प्रवासी मजदूर शहर छोड़ कर अपने गांव चले गए थे जिसकी वजह से मुंबई सहित कई शहरों में दिक्कत पैदा हुई थी। इनमें से काफी मजदूर लौट आए पर अभी भी बड़ी संख्या में लोग नहीं लौटे हैं। चढ़ती गर्मी का लगभग वही समय है, जब एक साल पहले प्रवासी मजदूर 24 मार्च को घोषित 21 दिन के लॉकडाउन में फंस गए थे। उन्हें भूखे-प्यासे हालात में हजारों किमी. यात्रा करनी पड़ी थी। कुछ पैदल भागे थे। कुछ साइकिलों पर। और कुछ अनाप-शनाप किराया देकर अपने गांव पहुंच सके थे। कुछ बदनसीब तो रास्ते मे ही खत्म हो गए थे। महाराष्ट्र सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा नहीं की है। शायद पूर्ण लॉकडाउन लगाया भी न जाए लेकिन पिछले साल के भुक्तभोगी चांस नहीं लेना चाहते। मान लो सरकार ने लॉकडाउन लगा ही दिया तो? मजदूर हर दिन बढ़ते कोविड के मामलों पर नजर रखे हैं। हर खबर पर कान लगाए रहते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो गांव जाने का प्लान भी बनाते रहते हैं। महबूब अली 23 साल का है। जरीमरी इलाके की गारमेंट फैक्ट्री में काम करता है। कहता है कि वह खबरों पर कान लगाए रहता है। कोई घोषणा तो नहीं हुई है लेकिन हम लोग पिछले साल की तरह कष्ट नहीं भोगना चाहते। मैं तीन हजार रुपए देकर एक ट्रक पर घर गया था, जब एक पैसे की भी कमाई नहीं थी। वह ट्रेन टिकट का जुगाड़ कराने वाली एक दुकान तक गया था। पता चला कि यूपी में उसके घर के लिए अभी कोई बर्थ उपलब्ध नहीं है। पिछले दिनों उसने अपने छोटे भाई को ट्रेन से घर भेज दिया। खुद नहीं गया ताकि चार पैसे और कमा ले। घाटकोपर में लदान का काम करने वालों के बीच सुपरवाइजरी करने वाले मुन्ना गिरि ने बताया कि रात के कफ्र्यू के बाद हम लोग लॉकडाउन के अंदेशे पर सोचविचार करने लगे हैं। हम लोग अभी 4-5 महीने पहले ही मुम्बई लौटे हैं। आशा करते हैं कि इस बार सरकार लौटने का कुछ इंतजाम कर देगी। अगर हमको दो दिन पहले बता दिया जाए तो हम कोई रास्ता निकाल लेंगे। एनजीओ से सम्बद्ध दीपक ने कहा कि उनसे हर दिन कम से कम 10 मजदूर पूछते हैं कि लॉकडाउन तो नहीं लगने वाला। अनुरोध करते रहते हैं कि उन्हें लॉकडाउन की सूचना घोषणा से पहले मिल जाए ताकि वे समय रहते घर लौटने का बंदोबस्त कर सकें। मजदूरों के अंदेशे अपनी जगह हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि पूर्ण लॉकडाउन के आसार नहीं हैं लेकिन माना जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार लोगों के आने-जाने और अन्य गतिविधियों पर कुछ अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश, स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर (एसओपी) जारी कर सकती है।


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