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मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह पिछले साल अप्रैल महीने से महाराष्ट्र के मंत्री जितेंद्र आव्हाड और तब निकटवर्ती ठाणे जिले में स्थित उनके घर पर तैनात पुलिसकर्मियों का कॉल डाटा रिकॉर्ड (सीडीआर) और सबस्क्राइबर डिटेल रिकॉर्ड (एसडीआर) हासिल कर उसे सुरक्षित रखे। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और मनीष पितले की एक खंडपीठ सिविल इंजीनियर अनंत करमुसे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि मंत्री के ठाणे स्थित बंगले पर अव्हाड और उनके समर्थकों ने उनपर हमला किया था। पिछले साल अप्रैल में ठाणे पुलिस द्वारा पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पिछले साल मई में दायर अपनी याचिका में करमुसे ने मांग की थी कि आव्हाड को मामले में आरोपी बनाया जाए और मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। करमुसे के वकील आबाद पोंडा ने मंगलवार को बताया कि कथित घटना के एक साल बीत जाने के बाद सीडीआर और एसडीआर स्वत: ही डिलीट हो सकते हैं और इसलिये पुलिस द्वारा उन्हें हासिल कर संरक्षित किये जाने की जरूरत है। पुलिस की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभाकोनी ने अदालत को बताया कि आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। इस पर अदालत ने पुलिस के कहा कि वह आव्हाड और कथित घटना के समय मंत्री के घर पर तैनात पुलिसवालों के सीडीआर और एसडीआर निकलवाकर सुरक्षित रखे। अदालत ने कहा, निर्देश मिलने पर महाधिवक्ता आशुतोष कुंभाकोनी ने कहा कि जांच अधिकारी कथित दोषी पुलिसकर्मियों और जितेंद्र अव्हाड के उपलब्ध सीडीआर और एसडीआर को हासिल कर अदालत के अगले आदेश तक उसे सुरक्षित रखेंगे, अगर उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया होगा तो।'' अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 21 अप्रैल को तय की है। करमुसे ने आरोप लगाया था कि पांच अप्रैल 2020 को कुछ पुलिसकर्मी उसके घर आए थे और यह कहते उसे अव्हाड के बंगले पर ले गए थे कि उसकी मौजूदगी पुलिस थाने में जरूरी है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि फेसबुक पर मंत्री की, कथित छेड़छाड़ से तैयार एक तस्वीर साझा करने को लेकर बंगले पर 10-15 लोगों ने उस पर हमला किया। 


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