मुंबई : मनसुख हिरेन मर्डर मिस्ट्री में बुरी तरह फंसे सचिन वझे को सुर्खियों में रहने का शुरू से ही शौक था
मुंबई : मनसुख हिरेन मर्डर मिस्ट्री में बुरी तरह फंसे मुंबई पुलिस का निलंबित एपीआई सचिन वझे को सुर्खियों में रहने का शुरू से ही शौक रहा है। वह न सिर्फ गूगल जैसे सर्च इंजन पर खुद के होने का दावा किया करते थे, बल्कि गूगल की तरह खुद का भी एक सर्च इंजन भी तैयार कर लिया था। NIA की जांच से जुड़े एक सूत्र की मानें तो वझे टेक्निकल रूप से काफी जानकार पुलिस अधिकारी हैं।
उनसे पूछताछ करना NIA अधिकारियों के लिए कभी-कभी आसान नहीं प्रतीत होता है। इसलिए अब NIA की जांच टीम में टेक्निकल एक्सपर्ट भी शामिल किए गए हैं, जो टेक सेवी हैं और जिन्हें सोशल मीडिया और टेक्नॉलजी के बारे में काफी जानकारियां हैं।
NIA की इसी टेक्निकल टीम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि वझे ने गूगल के सामानांतर खुद से एक सर्च इंजन बनाया था। इसके अलावा उन्होंने वॉट्सऐप की तरह मेसेजिंग मोबाइल ऐप भी बनाया था। इसका नाम वझे ने Direct Baat (डायरेक्ट बात) यानी सीधा संवाद रखा था। इस मेसेजिंग ऐंड कम्युनिकेशन ऐप के बारे में वझे ने दावा किया कि यह विश्व का सबसे सुरक्षित मोबाइल कम्यूनिकेशन ऐंड मेसेजिंग ऐप है, जिसका इस्तेमाल सरकारी एजेंसियां, सरकारी अधिकारी और नामचीन हस्तियों के अलावा कारोबारी घराने कर सकते हैं।
NIA के इस अधिकारी के मुताबिक, वझे ने 2018 के अक्टूबर में उसने इस 'डायरेक्टर बात' नामक मोबाइल ऐप को लॉन्च किया था, लेकिन अब इसे गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है। हालांकि, NIA की टेक्निकल टीम इस ऐप के जरिए हुए संवाद या गतिविधियों की जांच कर पता कर रही है कि वझे के संपर्क में इस ऐप के जरिए कौन-कौन लोग आए और इस पर किस प्रकार की गतिविधियां की जा रही थीं।
इसके अलावा वझे ने अपने पुलिस करियर के 16 साल यानी निलंबन अवधि में टेक्नॉलजी पर काफी काम किया था। इस अवधि में ही इस कथित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने सर्च इंजन बनाया था। इस सर्च इंजन के बारे में वझे का दावा था कि यह गूगल की तरह सब प्रकार की जानकारियां देता है। इस सर्च इंजन को वझे ने 2012 में बनाया था
इसके अलावा 2006 में भी उन्होंने मराठी भाषा मे एक फेसबुक जैसा मोबाइल ऐप तैयार किया था, जिसका नाम उन्होंने Lai Bhari (लेई भारी) रखा था। NIA अब वझे के इन सर्च इंजनों और मोबाइल ऐप्स को टेक्निकल ऐंगल से खंगालने में जुटी है। एनआईए खोज रही है कि कहीं इसके पीछे वझे कुछ अलग कहानी तो नहीं लिख रहे थे। बता दें कि वझे ने मुंबई पुलिस से जुड़े साइबर क्राइम और साइबर फ्रॉड के काफी केस हल किए हैं। इसीलिए पुलिस महकमे में उसके सहयोगी वझे को टेक्निकल कॉप या टेक कॉप भी कहा करते थे।