१२ विधान परिषद सदस्यों का नाम घोषित करें राज्यपाल - अजीत पवार
मुंबई : विदर्भ, मराठवाड़ा क्षेत्र के विकास के लिए महामंडल बनाने की मांग को लेकर विधानसभा में हंगामा करनेवाले विपक्ष को उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने जमकर सुनाई। अजीत पवार ने कहा कि सरकार की भूमिका है कि उक्त क्षेत्र के विकास के लिए महामंडल बनना ही चाहिए। बजट में उक्त क्षेत्र के संपूर्ण विकास के लिए प्रावधान किया जाएगा। लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास सरकार ने विधान परिषद के लिए जो १२ सदस्यों के नाम भेजे हैं, वे उसकी घोषणा करें। तब मैं उसी दिन अथवा दूसरे दिन ही वैधानिक विकास महामंडल की घोषणा कर दूंगा। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के इस जवाब ने सदन में हंगामा मचानेवाले विपक्ष की चाल को नाकाम कर दिया।
सोमवार को बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के अभिभाषण के बाद विधानसभा में कामकाज शुरू हुआ। अध्यादेश को सदन के पटल पर रखने के साथ ही विपक्षी दलों ने सरकार के विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल ने विपक्ष को शांत रहने की अपील की। तब विपक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने सभात्याग करने की बात कही, जिसके बाद उपाध्यक्ष ने विरोधी दल को बोलने का मौका दिया।
भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि मराठवाड़ा विदर्भ में वैधानिक विकास महामंडल की स्थापना होनी चाहिए थी। अब तक इसकी पुनर्स्थापना क्यों नहीं हुई? उन्होंने कहा कि ७२ दिन हो गए सरकार क्यों नहीं कर रही है? सरकार १० नंबर पाने लायक काम करे। जवाब में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि विधान परिषद के १२ सदस्यों के नाम जल्द घोषित कीजिए, आपको जितना नंबर चाहिए, उतना देंगे।
अजीत पवार ने कहा कि विदर्भ, मराठवाड़ा के विकास के लिए एक भी रुपया कम नहीं पड़ने देंगे। पूरी निधि वितरित की जाएगी। उक्त क्षेत्र का पूर्ण विकास किया जाएगा। अपने वादे के साथ राज्य सरकार कटिबद्ध है। जल्द ही महामंडल की घोषणा की जाएगी। विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अजीत पवार के पेट में जो बात थी, वही जुबान पर आई है।
कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि फडणवीस सरकार ने ५ महामंडलों को कितनी निधि प्रदान की है, उसकी जानकारी यहां रखी जानी चाहिए। विपक्ष रात और सुबह के खेल क्यों करती है? आज तक हमारी समझ में नहीं आया। सार्वजनिक निर्माणकार्य मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि सत्र का आज पहला दिन है। ऐसे में विपक्ष का इस तरह हंगामा करना उचित नहीं है। सभी अधिकार राज्यपाल को न जाएं, इसके लिए कुछ मामलों पर रोक लगाना जरूरी है।