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मुंबई : हैरिटेज को चाहने वालों के लिए एक अच्छी खबर है। रेल मंत्रालय ने बांद्रा और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस स्टेशनों के हैरिटेज संरक्षण के लिए आखिरकार बजट का आवंटन किया है। सन 1800 के उत्तरार्ध में बनी इन इमारतों के संरक्षण का काम आखिरकार शुरू होने वाला है। बांद्रा स्टेशन के लिए तो कुल राशि के 42% हिस्से का आवंटन हो गया है, जबकि सीएसटी पर वर्ल्ड हैरिटेज म्यूजियम का काम अब जल्द शुरू होने वाला है। काम की शुरुआत के लिए पश्चिम रेलवे के बांद्रा स्टेशन को 5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पश्चिम रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार सन 1888 में बांद्रा स्टेशन जब शुरू हुआ था और जैसी इमारत थी, ठीक वैसी ही स्थिति में दोबारा स्टेशन बिल्डिंग को लाया जाएगा। बजट में मिली फंडिंग से ये काम तेजी से होगा। ये ग्रेड -1 का हैरिटेज स्ट्रक्चर है और इसके संरक्षण के लिए कुल 12.07 करोड़ की राशि प्रस्तावित है। इसमें से 19.32 लाख रुपये मार्च 2020 तक खर्च हो चुके हैं।

सूत्रों की मानें तो संरक्षण करने के लिए जिम्मेदार लोगों ने बांद्रा स्टेशन पर कुल 20 परिवर्तन की लिस्ट बनाई है। इस इमारत को दोबारा मूल गोथिक विक्टोरियन स्वरूप देने के लिए 20 तरह के काम किए जाएंगे। इसमें स्टेशन की दीवार, फर्श और छतों को साफ करने का काम भी शामिल है। कास्ट आयरन के पिलर और मंगलौर टाइल्स को फिट किया जाएगा। इमारत में लगे कांच को पहले जैसा लुक दिया जाएगा। पुराने दरवाजों को दोबारा संरक्षित किया जाएगा। सीमेंट प्लास्टर को हटाया जाएगा और स्टेशन पर लगे दिशा निर्देश वाले बोर्ड्स की डिजाइन दोबारा की जाएगी।

पिछले सौ सालों में लगातार धूप, बारिश और अन्य कारणों से इमारत की डिजाइन में परिवर्तन होता गया। खासतौर पर इमारत में लगा टीकवुड का ढांचा खराब हुआ है। लकड़ी में दीमक लगने और बारिश के पानी से भीगकर सड़ने से कई बार इसे बदलना पड़ा। यही हालत दरवाजों और खिड़कियों की हुए हैं। इमारत में लीकेज भी होने लगा और पानी के कारण स्ट्रक्चर भी खराब हुआ है। इन हालात के कारण बांद्रा स्टेशन की इमारत का मूल स्वरूप नष्ट हो गया जिसे अब दोबारा संरक्षित किया जाएगा। बांद्रा की तरह सीएसटी की इमारत का भी संरक्षण किया जाएगा। गौरतलब है कि इसे यूनेस्को द्वारा पहले ही विश्व धरोहर के तौर पर चिह्नित किया जा चुका है। अब यहां विश्व स्तरीय म्यूजियम बनाने की भी योजना है। मध्य रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार म्यूजियम के लिए 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस बजट में इमारत के संरक्षण के लिए 60 लाख रुपये का आवंटन हुआ है। इसके अलावा पहली बार म्यूजियम के लिए दस लाख रुपये का अलग से आवंटन किया गया है।

मध्य रेलवे के अनुसार लॉकडाउन के दौरान विश्व धरोहर के संरक्षण के लिए करीब 51 करोड़ रुपए का काम हुआ है। इमारत में कई जगहों में मार्बल और ग्रेनाइट का काम करने और कुछ पुराने ढांचों को ठीक करने के लिए राजस्थान से कामगारों को बुलाया गया था। इस दौरान इमारत के मुख्य डोम की सफाई कर उसे चमकाया गया। दीवारों में दरारों को ठीक करने और उन्हें साफ करने के लिए ड्रोन की मदद ली गई। इस इमारत में विक्टोरियन गोथिक स्टाइल की सीढ़ियों का सौंदर्यीकरण किया गया। डोम के अंदर वाले हिस्से को दोबारा संरक्षित किया गया। इमारत के काम को कई हिस्सों में बांटकर चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है।


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