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मुंबई : मुंबई में कुछ लोग समाजसेवा की आड में नवजात बच्चों की विक्री का खेल, खेल रहे थे। एनजीओ की आड में नवजात बच्चों की बिक्री करनेवाले इस गिरोह का पर्दाफाश मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट-१ ने किया है। इस गिरोह में डॉक्टर, नर्स और लैब टेक्नीशियन सहित ९ से अधिक लोग भी शामिल थे। इस गिरोह के लोग गरीब मां-बाप को पैसों का लालच देकर उनके बच्चों को खरीद लेते थे और बाद में उन बच्चों को संतान की इच्छा रखनेवाले नि:संतान दंपतियों को बेच देते थे।
बता दें कि विगत कुछ दिनों से मुंबई में छोटे बच्चों की गुमशुदगी के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही थी। नतीजतन मुंबई पुलिस के आला अधिकारियों ने तमाम यूनिटों को बच्चा चोरी या खरीद-फरोख्त में लगे लोगों की खोज करने और उन पर नकेल कसने का निर्देश दिया था। इस दौरान यूनिट-१ के अधिकारियों को बांद्रा-पूर्व के ज्ञानेश्वर नगर से संचालित हो रहे एक गिरोह की जानकारी मिल गई। यह गिरोह छोटे बच्चों को बेचने-खरीदने का कारोबार करता था। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक योगेश चव्हाण के मार्गर्दशन में यूनिट-१ की टीम ने मामले की छानबीन की तो पता चला कि बांद्रा-पूर्व में खेरवाड़ी पुलिस स्टेशन की हद में स्थित ज्ञानेश्वर नगर निवासी एक महिला ने मुहल्ले में रहनेवाली एक दलाल महिला के मार्फत अपने दो नवजात बच्चों को बेचा था, जिसमें से एक बच्चा पुणे में जबकि दूसरा मुंबई में बेचा गया था। इसी तरह एक और बच्चा धारावी में बेचा गया था। यूनिट १ की टीम ने बच्चे को बेचने और खरीदनेवाली महिला को हिरासत में लिया तो और भी कई बच्चों की खरीद-बिक्री किए जाने का खुलासा हुआ। पुलिस को पता चला कि गिरोह के लिए काम कर रही ५ महिलाएं गरीब मां-बाप को ढूंढ़ती थीं। उन्हें पैसों का लालच देती थीं और साथ ही उनके बच्चों की अच्छी परवरिस का सब्जबाग दिखाकर बच्चे बेचने को प्रेरित करती थीं। बाद में गरीब मां-बाप से खरीदे गए बच्चे को वे ३ से साढ़े तीन लाख रुपए में बेच देते थे। गिरोह का संचालन एक डॉक्टर, एक नर्स व लैब  टेक्निशीयन मिलकर करते थे। पुलिस इस गिरोह के ९ लोगों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।



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