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नागपुर : बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने एक फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी के खिलाफ ऋण चुकाने की मांग करने पर आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुये कहा है कि यह कमर्चचारी के कर्तव्य का हिस्सा है। अदालत ने यह भी कहा कि इसे आत्महत्या के लिये उकसाने वाला कृत्य नहीं कहा जा सकता है। न्यायमूर्ति विनय देशपांडे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता रोहित नलवड़े केवल अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा था और उधार लेने वाले प्रमोद चौहान से इसे वसूल करने का प्रयास कर रहा था। चौहान ने बाद में आत्महत्या कर ली थी और और सुसाइड नोट में याचिकाकर्ता पर ऋण की वसूली के लिये उसे परेशान करने का आरोप लगाया था।

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