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मुंबई: ज्यादा मजदूरी का लालच देकर तीन गांवों के 55 मजदूरों को दो ठेकेदार अपने साथ महाराष्ट्र लक्जरी बस में ले गए। वहां पहुंचकर उन्हें गन्ना काटने के काम पर लगाया। तीन ग्रुप बनाकर अलग-अलग जगह भेजे। 19 लोगों का एक ग्रुप बीड़ जिले में रखा, 15 को कर्नाटक भेजा और 23 मजदूरों को महाराष्ट्र में ही दूसरी जगह भेज दिया। उनसे सुबह 4 बजे से रात 1 बजे तक काम कराया जाता। इनमें नाबालिग किशोर और गर्भवती महिलाएं भी थी।
यहां सूचना देने की कोशिश की तो पीटा और कुत्ते से कटवाया। बंधक बनाकर रखा था। पिछले दिनों चार मजदूर कर्नाटक से भाग आए और अपने गांव पहुंच गए। उन्होंने पूरी जानकारी दी। इसके बाद एक एनजीओ की मदद से पुलिस व प्रशासन ने 24 दिसंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर बीड़ जिले के 19 मजदूरों को छुड़ाया। ये लोग रविवार को झाबुआ पहुंचे।
जन साहस संस्था नाम के एनजीओ ने इन 19 मजदूरों को लाने में मदद की। खबर मिलने पर कलेक्टर से मिले, कलेक्टर ने बीड़ के डीएम को पत्र लिखा। वहां एसडीएम और पुलिस की टीम बनाकर दबिश दी और मजदूरों को छुड़वाया। लौटकर आए लोगों ने बताया महाराष्ट्र के मजदूर ठेकेदार खवाजा इब्राहिम और ख्वाजा मूसा साथ ले गए थे। यहां हर जोड़े को 700 रुपए प्रतिदिन देने का वादा किया और काम का समय सुबह 8 से शाम साढ़े 5 बजे बताया। ये बात 15 अक्टूबर की है। मजदूरी पर गए लोगों में 7 नाबालिग हैं। अजब बोराली के राजेश की पत्नी हुमलीबाई और बेटी अंगूरी भी गए थे। राजेश ने बेटी को नया फोन दिलाया था। 15 दिन तक बात हुई, इसके बाद फोन बंद हो गया। दूसरे किसी साथी से भी संपर्क नहीं हो रहा था।
बंटी पिता लक्ष्मण ने बताया उन्हें चागुर जिला लातूर में भी काम किया। गांव वालों से ठेकेदार बात नहीं करने देते थे। पैसे भी नहीं देते थे। ढाई महीना ऐसे ही निकाला।
15 साल के अंतर पिता धरमा रावत ने बताया खाने को गेहूं, मसूर की दाल और चावल देते थे। ये काफी कम होते थे। पेट भी नहीं भरता था।
पेटलावद के अजब बोराली, थांदला के चापानेर और भूरीघाटी गांव के मजदूर काम पर गए थे। उज्जैन निवासी रामसिंह रघुनाथ राजपूत उनके गांव में आया था। उसने सारी बात की थी। पिकअप में बैठाकर रतलाम ले गया। यहां महाराष्ट्र के मूसा व ख्वाजा इब्राहिम दोनों भाई मिले। दोनों महाराष्ट्र के चारगांव ले गए। यहां इन मजदूरों से गन्ना कटाई से लेकर ट्रक में लदान तक का काम लिया जाने लगा। मजदूरों ने बताया ठेकेदार के आदमी ही उन्हें अनाज राशन दे देते थे, वो भी कम। खाना बनाने का कभी समय मिलता कभी नहीं मिलता। मजदूरी भुगतान की बारी आई तो ठेकेदार आनाकानी करने लगा। मारपीट होने लगी और निगरानी में रखा जाने लगा। भागने की कोशिश में जान से मार देने की धमकी दी जाती।
कुछ मजदूरों ने विरोध किया तो राजू अमरू व पप्पू कालू को उनकी पत्नियों के साथ ठेकेदार ने कर्नाटक में किसी अज्ञात जगह भेज दिया। वहां से चारों भागने में सफल हो गए। गांव आकर पूरी बात बताई। बामनिया चौकी प्रभारी ने ठेकेदार के मोबाइल पर कॉल किया। वहां मजदूर मुकेश कांजी से उनकी बातचीत हुई। मुकेश ने बताया कि यहां बंधक बनाकर रखा हुआ है। ठेकेदार के लोगों ने मुकेश से फोन छीन लिया और पिटाई की। बचाने आए बंटी को भी पीटा, कुत्ते से कटवाया। मजदूरों को बीमार होने पर दवाई, गोली भी ठेकेदार ही दे देता है। महिला समसु गुड्डू गर्भवती थी। मजदूरों ने उसकी सोनोग्राफी करवाने को कहा तो ठेकेदार ने डांटकर भगा दिया। गर्भवती को भी बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई दे दी गई। राजू अमरा व पप्पू कालू ने मामले की जानकारी विधायक वीरसिंह व सांसद गुमानसिंह डामोर को भी दी। उन्होंने एसपी से बात की।
अखबार में जब बंधुआ मजदूरों के भागकर आने की खबर छपी तो जन साहस संस्था के अजय मारू ने जानकारी मुख्य कार्यालय देवास को दी। वहां से समन्वयक जयपाल देवड़ा आए। वो कलेक्टर व अपर कलेक्टर से मिले। 21 दिसंबर को संस्था के अजय मारू, निर्मला भूरिया, पदमा, दीपक, विक्रम मजदूरों के रिश्तेदारों को लेकर बीड़ पहुंचे। 2 दिन वहां रुककर सर्चिंग की गई। उसके बाद डीएम ने एक टीम बनाई। 24 तारीख की रात लालगौरी भास्कर के खेत से इन 19 लोगों को छुड़ाया गया। एसडीएम ने वहां बयान दर्ज किए।




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