ईरान : वैज्ञानिक की हत्या से बौखलाया ईरान, कहा- इजराइल ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल किया
ईरान : ईरान के एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने सोमवार को आरोप लगाया कि इजराइल ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल कर दूर से ईरानी वैज्ञानिक की हत्या कर दी जिन्होंने 2000 के दशक में देश के सैन्य परमाणु कार्यक्रम की नींव रखी थी। ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शामखानी ने वैज्ञानिक मोहसिन फख्रीजादा की तदफीन (दफन करने) के दौरान उक्त टिप्पणी की। इसी दौरान ईरान के रक्षा मंत्री आमिर हातमी ने वैज्ञानिक के काम को तेजी से आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
इजराइल पर लंबे वक्त से शक किया जाता रहा है कि बीते एक दशक में ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या में उसका हाथ है। हालांकि उसने इस हमले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। फख्रीजादा ईरान के 'एएमएडी कार्यक्रम की अगुवाई करते थे। इसे लेकर इजराइल और पश्चिमी देशों का आरोप है कि यह एक सैन्य अभियान है जो परमाणु हथियार बनाने की कोशिश में हैं।
शामखानी की टिप्पणी ने शुक्रवार को हुई वैज्ञानिक की हत्या की कहानी को बदल दिया है। अधिकारियों ने शुरुआत में कहा था कि एक ट्रक में विस्फोट हुआ और फिर बंदूकधारी आए और उन्होंने वैज्ञानिक की गोली मारकर हत्या कर दी।
ईरान में अंग्रेजी भाषा के सरकारी 'प्रेस टीवी ने पहले खबर दी थी कि मौक-ए-वारदात से एक हथियार मिला है जिस पर इजराइली सैन्य उद्योग का लोगो एवं अन्य पहचान अंकित हैं।
अरबी भाषा के सरकारी टीवी चैनल 'अल-आलम ने दावा किया है कि हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियारों को उपग्रह के जरिए नियंत्रित किया गया था। अर्द्ध सरकारी समाचार एजेंसी फारस ने भी रविवार को यह दावा किया था। हालांकि किसी भी मीडिया संस्थान ने अपने दावे के समर्थन में तत्काल कोई सबूत पेश नहीं किया।
शामखानी ने सरकारी टीवी से कहा, दुर्भाग्य से अभियान बहुत जटिल था और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल कर उसे अंजाम दिया गया है। मौका-ए-वारदात पर कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था। उन्होंने ईरान के निर्वासित संगठन मुजाहिदीन-ए-खल्क को भी हमले में भूमिका निभाने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
बहरहाल, फख्रीजादा की तदफीन तेहरान में ईरानी रक्षा मंत्रालय के बाहरी हिस्से में हुई। इसमें रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैनी सलामी, गार्ड के कुड्स बल के प्रमुख जनरल इस्माइल घानी, असैन्य परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख अली अकबर सहेई और गुप्तचर मामलों के मंत्री महमूद अल्वी ने हिस्सा लिया।