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पुणे : कोरोना संक्रमण की वजह से होने वाली एक दुर्लभ समस्या के तहत 10 साल के एक बच्चे की छोटी आंत (Small Intestine) में सड़न हो गई। आंत पूरी तरह सड़ जाने के बाद बच्चे के पिता ही डोनर बने और उनकी छोटी आंत का 200 सेंटीमीटर हिस्सा बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया। बच्चे की हालत अब काफी बेहतर है और पिछले 3 महीनों में उसने पहली बार दाल-चावल खाया।

ओम घुले (10) का इलाज करने वाले जुपिटर हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने दावा किया कि वह कोविड संक्रमण के बाद लिविंग डोनर स्मॉल इन्टेस्टाइन का ट्रांसप्लांट कराने वाला दुनिया का पहला बाल रोगी है। 3 महीने के दौरान बच्चे की 4 सर्जरी हुई और उसे तीन शहरों का चक्कर लगाना पड़ा। पुणे और ठाणे के हॉस्पिटल में बच्चे का इलाज चला। डॉक्टर्स के अनुसार इस केस से कोरोना के कारक SARS-CoV-2 की गंभीरता का पता चला है।

अगस्त महीने में ओम के पेट में दर्द होने पर किसी को भी अंदाजा नहीं था कि ऐसा कोविड के बाद क्लॉटिंग की वजह से हो रहा है। 8 अगस्त को पैरंट्स उसे लेकर पनवेल स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में गए। जांच में छोटी आंत में क्लॉटिंग और सड़न की समस्या का पता चला। वहां उसका ऑपरेशन हुआ। इसके बाद 28 अगस्त को बच्चे को ठाणे के जुपिटर हॉस्पिटल में ट्रांसफर किया गया।

यहां उसका तीसरी और चौथी बार ऑपरेशन हुआ। ट्रांसप्लांट सर्जन गौरव चौबल ने बताया कि आंत में संक्रमण को रोकने के लिए ऑपरेशन करन पड़ा। इसके बाद बच्चे को गले में फिट किए गए स्पेशल पोर्ट्स की मदद से भोजन दिया जाने लगा। तीन महीने तक डोनर नहीं मिलने से उसकी समस्या बढ़ने लगी। उसके लिवर को नुकसान पहुंचने लगा। 

4 नवंबर को बच्चे को पुणे के जुपिटर हॉस्पिटल में ट्रांसफर कर दिया गया, जिनके पास स्मॉल इन्टेसटाइन के ट्रांसप्लांट का लाइसेंस हासिल था। पांच नवंबर को ऑपरेशन 10 घंटे तक चला, जिसमें पिता के इंटेस्टाइन के हिस्से को बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया। डॉक्टर्स के अनुसार कुछ समय बाद ओम सामान्य जिंदगी जीने लगेगा।


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