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मुंबई : शिवसेना ने बीजेपी को बिहार में आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव से नसीहत लेने की सलाह दी है. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि बीजेपी ने हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों में राम मंदिर के मुद्दे और सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े केस को उठाने की कोशिश की, दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने बिहार के बेरोजगार युवाओं को दस लाख नौकरियां देने की बात की, जिसे युवा वर्ग ने हाथों हाथ लिया. बिहार चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव की रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ का भी हवाला दिया गया. इन रैलियों में बेरोजगार युवाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. लेख में शिवसेना ने सवाल किया कि ये किस बात का सूचक है?  
शिवसेना के मुखपत्र में नोटबंदी को लेकर भी बीजेपी पर निशाना साधा गया. संपादकीय मे कहा गया है कि “नोटबंदी के चार वर्षों का जश्न मनाने का मतलब है कि गलत नीति की वजह से किए गए गलत काम का जश्न मनाना. वो गलत फैसला जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हुई और हजारों ने नौकरियां खोईं. कई ने खुदकुशी की, कईयों के कारोबार बंद हुए और अर्थव्यवस्था पटरी पर उतर गई. सरकार (केंद्र) ने गलत कृत्य का जश्न मनाने का नया ट्रेंड शुरू किया. भारतीय इतिहास में नोटबंदी को एक काला अध्याय करार देते हुए सामना के संपादकीय में कहा गया है कि लोगों को यह सोचने की जरूरत है कि प्रधानमंत्री के बयान को कितनी गंभीरता से लेने की जरूरत है, जब उन्होंने कहा कि नोटबंदी का कदम सफल रहा और इससे काले धन को कम करने में मदद मिली. सामना में कहा गया कि जिस दिन बीजेपी नोटबंदी के चार साल का जश्न मना रही थी, उसी दिन कश्मीर घाटी में भारतीय सेना के चार जवान शहीद हुए.
सामना में कहा गया कि प्रधानमंत्री कहते है कि नोटबंदी से पारदर्शिता बढ़ी है, लेकिन हकीकत ये है कि एक चायवाले को भी अपना व्यवसाय चलाने में मुश्किल हो रही है. इसलिए वास्तविकता यह है कि इस कदम ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी. सामना के संपादकीय में डोनाल्ड ट्रम्प का संदर्भ देते हुए कहा गया कि गलत कामों को स्वीकार न करना एक ऐसी चीज थी जो अमेरिकी राष्ट्रपति ने की और इसका परिणाम भुगतना पड़ा, बीजेपी को इससे सबक लेने की जरूरत है.

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