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ठाणे : ठाणे मनपा के निलंबित सहायक आयुक्त सुनील मोरे ने जमानत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। ठाणे न्यायालय से जमानत नामंजूर किए जाने के बाद मोरे ने अब मुंबई उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। मोरे ने संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए ठाणे न्यायालय में गुहार लगाई थी, लेकिन मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने उसकी याचिका को खारिज कर दी। दूसरी तरफ ठाणे न्यायालय से याचिका खारिज होने के बावजूद पुलिस ने मोरे को गिरफ्तार नहीं किया है। 

शिल डायघर पुलिस स्टेशन के सीनियर पीआई चंद्रकांत जाधव का कहना है कि इस मामले में छानबीन चल रही है। मोरे के ठिकाने का पता नहीं लग पाया है और न्यायालय में जाने से गिरफ्तारी में अड़चन बनी हुई है। हालांकि जानकारों के मुताबिक मोरे शहर में घूम रहा है और पुलिस मामले में लापरवाही बनी है। पता हो कि 17 अगस्त को मोरे का तबादला चुनाव विभाग में हुआ था। उसी दिन रात को कार्यालय से एक कंप्यूटर और अवैध निर्माण तथा कोविड सामग्री की खरीदी से जुडी 9 फाइलें गायब हुई थीं। आयुक्त डॉ. विपिन शर्मा के निर्देश पर आरोपों से घिरे सहायक आयुक्त सुनील मोरे और उनके सहयोगी फिरोज खान के खिफ शिल डायघर पुलिस स्टेशन में आईपीसी 380, 409 तथा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद मोरे को मनपा से निलंबित किया गया था। तत्पश्चात मामले से जुड़ी जानकारी पुलिस को देने वाले कर्मचारियों पर मोरे द्वारा दबाव बनाने तथा उनको धमकाने का मामला सामने आया था। निलंबन की कार्रवाई करते हुए मनपा आयुक्त विपिन शर्मा ने मोरे को प्रतिदिन मनपा कार्यालय में उपस्थित रहने का आदेश दिया था। लेकिन दो सप्ताह से मोरे कार्यालय में नहीं आ रहे हैं। उनका मोबा फोन भी बंद है।

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