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मुंबई : लॉकडाउन ने लोगों को बेबस बना दिया है। कई लोगों की नौकरी छूट गई, लोग फाकाकशी को मजबूर हो गए हैं, जो लोग इन विषम परिस्थितियों से जूझने में समर्थ हैं वे संघर्ष कर रहे हैं। कुछ लोग दिन गुजारने के लिए चोरी या लूटमार भी कर रहे हैं लेकिन जिनकी हिम्मत जवाब दे जा रही है वो खुदकुशी जैसा अप्रत्याशित कदम उठा रहे हैं। ऐसे मामले बीते कुछ दिनों में देशभर से सामने आ रहे हैं। हद तो तब हो गई जब मजदूरी करके गुजारा करनेवाले एक दंपति ने अपने १३ दिन के दिव्यांग बच्चे को जिंदा जमीन में दफना दिया। पेट भरने की मजबूरी के बीच दिव्यांग बच्चे के दवा-दारू का खर्च उठाने में असमर्थ इस दंपति ने भले ही सीने पर पत्थर रख कर किया होगा लेकिन उनकी इस अमानवीय करतूत ने उन्हें कातिल बना दिया। बच्चों की खुशी माता-पिता के लिए सर्वोपरि होती है। बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना लिए मां-बाप रात-दिन खून-पसीना बहाते हैं लेकिन महाराष्ट्र के पुणे जिले से बेहद सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां एक दंपति को अपने नवजात बच्चे की हत्या के आरोप में हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने नवजात के शव को कब्र से निकाल पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के जन्मदिन यानी दो अक्टूबर को इस बच्चे का जन्म हुआ था लेकिन वह अपने ही मां-बाप की हिंसा शिकार बन गया।

पुणे पुलिस को माता-पिता द्वारा उक्त नवजात की हत्या किए जाने की भनक लग गई। जांच में पुलिस को पता चला कि बच्चा दिव्यांग था। बच्चे को डाउन सिंड्रोम की समस्या थी। उसकी कई जांच कराने को कहा था। लॉकडाउन में बच्चे के पिता की नौकरी पहले ही छिन गई थी। इससे उसकी आर्थिक स्थिति डांवांडोल हो गई थी। नतीजतन उनके लिए पेट भरना भी मुश्किल हो गया था। बच्चे की मां कटराज इलाके में कपड़े की एक दुकान पर काम करती है, जिससे किसी तरह दो वक्त की रोटी तो मिल रही है लेकिन बच्चे के इलाज का खर्च वे वहन नहीं कर सकते थे। सिंहगढ़ पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि बच्चे की बीमारी और अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए दंपति ने बच्चे को किसी को देने की कोशिश की, लेकिन ऐसा कोई संगठन नहीं मिला जो बच्चे को स्वीकार करे। अधिकारी ने बताया कि ऐसे में आशंका है कि दंपति ने बच्चे को मार डाला। अधिकारी ने कहा कि पति-पत्नी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने बुधवार को जांच के इरादे से बच्चे का शव कब्र से बाहर निकलवाया। पुलिस उपायुक्त पूर्णिमा गायकवाड़ ने बताया, `हमें सूचना मिली थी कि मात-पिता ने नवजात बच्चे की हत्या कर दी है। दो दिन पहले बच्चे के शव को तालजयी इलाके की सुनसान जगह पर दफन कर दिया गया है। हमने मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में बच्चे का शव निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है।’ फिलहाल पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

नासिक स्थित एसटी डेपो में कार्यरत अशोक ताटकुले नामक शख्स ने अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। वजह थी तटकुले के जुलाई महीने की तनख्वाह सिर्फ २२३ रुपए मिली थी। मूलरूप से नांदेड का रहनेवाला तटकुले लॉकडाउन में ड्यूटी पर नहीं जा सका था। उसकी छुट्टियां भी शेष नहीं बची थी नतीजतन उसकी पूरी तनख्वाह कट गई। जबकि तटकुले पर मां-बाप, भाई, पत्नी और बेटी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी थी। इसी जिम्मेदारी के बोझ ने उसकी हिम्मत तोड़ दी थी।

इसी तरह का एक अन्य मामला मुंबई से सटे पालघर जिले के वसई-पूर्व से सामने आया है। जहां वालिव पुलिस ने एक बंद एटीएम मशीन तोड़कर लाखों रुपए लूटने के आरोप में पूर्व कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। यह एटीएम २० सितंबर से बंद था। एटीएम में पैसे रिफील करने का ठेका सीएमएस कंपनी को दिया गया था। इसी कंपनी के पूर्व कर्मचारी ने एटीएम लूटा था। उसे दो महीने पहले काम से निकाला गया था। आरोपी जानता था कि एटीएम केंद्र का सीसीटीवी वैâमरा रिपेरिंग के लिए निकाला गया है। चोरी के तरीके से पुलिस ने यह अनुमान लगाया कि पासवर्ड जाननेवाले किसी कर्मचारी ने इस वारदात को अंजाम दिया होगा। शेष कर्मचारियों से पूछताछ, उनके मोबाइल की लोकेशन व कॉल डिटेल की जांच के बाद पूर्व कर्मचारी के नाम का खुलासा हुआ था। इसी तरह पुणे के पिंपरी क्षेत्र में दो उच्चशिक्षित युवकों ने एटीएम मशीन तोड़कर ६६ लाख १० हजार १०० रुपए की नकदी पर हाथ साफ कर दिया। पिंपरी-चिंचवड पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट-३ ने इस मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। मूलरूप से जलगांव के रहनेवाले दोनों आरोपी पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने कम्प्यूटर मैनेजमेंट में स्नातक तक की पढ़ाई की है। आरोपियों ने माऊलीनगर, वडमुखवाडी (दिघी) स्थित एसबीआई बैंक के एटीएम सेंटर में ४ एटीएम मशीनों को डुप्लिकेट चाबी की मदद से खोला था तथा उसमें से चोरी की थी। देशभर में ऐसे अपराधों की सूची काफी लंबी हो सकती है। कई लोगों ने खुदकुशी कर ली। कुछ लोगों ने तो सामूहिक खुदकुशी भी की है लेकिन इन सबके बीच पुणे का मामला बेहद झकझोरनेवाला है।

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