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नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बीच पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग को लेकर दायर आवेदन पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी पक्षकारों से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ पंजाब, उत्तर प्रदेश व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।

प्रदूषण से जुड़ी वर्ष 2015 की याचिका पर आवेदन दाखिल कर सुधीर मिश्रा ने मांग की है कि तीनों राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वे विशेषज्ञ टीमों की टीम भेजकर इस पर अंकुश लगाने की दिशा में तत्काल कार्रवाई करें। उन्होंने दलील दी है कि कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को देखते हुए पराली जलने से इसकी संख्या में वृद्धि हो सकती है। अधिवक्ता पेटल चंढ़ोक व अधिवक्ता रितविका नंदा के माध्यम से दायर आवेदन के अनुसार पंजाब के कुछ हिस्सों में पराली जलाना शुरू हो चुका है और पिछली एक सप्ताह में ऐसी घटनाओं में छह फीसदी की भारी वृद्धि इसका संकेत है। कोविड-19 के बढ़ते मामलों का वायु प्रदूषण से सीधा संबंध है।

उन्होंने कहा कि तीन राज्यों की सरकार को एक साथ आकर किसानों को फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। याचिका के अनुसार दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को दिल्ली के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर तेजी से काम करने होगा। बता दें कि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों पर भी इस बार खास निगाह रहेगी। इनके लिए डीपीसीसी ने 13 अधिकारियों को नामित करते हुए 13 टीमों का गठन किया है। ये टीमें संबंधित जिला उपायुक्त के निर्देशन में काम करेंगी। हर टीम में राजस्व विभाग, पुलिस और उद्योग विभाग का एक-एक अधिकारी भी शामिल रहेगा। यह टीमें अपने अपने अधिकार क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों में सुनिश्चित करेंगी कि वे तय मानकों के अनुरूप ही चलें और उनका जहरीला धुआं वातावरण या हवा प्रदूषित न करें।


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