helth : डेंगू की तरह क्यों गिर रहे कोरोना मरीजों के प्लेटलेट्स
विभिन्न देशों में अलग-अलग लक्षणों के साथ दिखा कोरोना, अलग-अगल तरह से मरीजों को प्रताड़ित कर रहा है. अब कोरोना का एक नया रूप भारत से ही सामने आया है. जिसमें कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद मरीज डेंगू बुखार की तरह अपने प्लेटलेट्स काउंट को कम कर दे रहा है. आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला.. दरअसल, उत्तरप्रदेश के लखनऊ में एक मामला सामने आया है जिसमें कोरोना संक्रमित मरीज के प्लेटलेट्स काउंट में अचानक से गिरावट दर्ज की गयी. यह लक्षण आमतौर पर डेंगू के मरीजों में देखा जाता है. इस नये मामले में पाया गया कि मरीज के प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार से भी नीचे चले गए.
विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे मामलों के चेक करने पर उनमें डेंगू के कोई लक्षण भी नहीं दिखे हैं. जांच में खुलासा हुआ कि कोरोना से ज्यादा गंभीर मरीजों में ऐसी अवस्था देखने को मिल रही है. एक रिपोर्ट की मानें तो फिलहाल पीजीआई में डॉक्टरों की टीम ने इस पर शोध भी शुरू कर दिया है.
पीजीआई के प्रोफेसर अनुपम वर्मा के हवाले से अपने रिपोर्ट में छापा है कि अचानक मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट गिरना बेहद चिंता का विशष है. उन्हें मैनेज कर पाना मुश्किल हो रहा है.
रिपोर्ट की मानें तो पीजीआई में एडमिट लोकबंधु अस्पताल के डॉक्टर की प्लेटलेट्स लगातार नीचे गिर रही थी. भर्ती होने के दूसरे दिन उनका प्लेटलेट्स दस हजार पहुंच गया. अंग्रेजी वेबसाइट हेल्थलाइन की रिपोर्ट की मानें तो एक आम व्यक्ति में प्लेटलेट्स की कुल संख्या 150,000 से 450,000 एम्एल् बलड होनी चाहिए.
क्यों होता है प्लेटलेट्स कम
दरअसल, कोरोना हमारे इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है. जिससे मोनोसाइड और मैकरोफेज सेल पर प्रभाव पड़ता है. यही कारण है कि बॉडी में प्लेटलेट्स की खपत बढ़ने लगती है. उत्पादन पहले की मात्रा में हो रहा होता है लेकिन प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ने से शरीर में इसकी संख्या कम होने लगती है. ऐसे मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है और जरूरी पड़ने पर प्लाज्मा थेरेपी भी दी जाती है.
इस दौरान डेंगू जांच बहुत जरूरी
विशेषज्ञों की मानें तो ऐसी अवस्था में सबसे पहले मरीज का डेंगू जांच करके देखा जाना चाहिए. जिससे पता चल सकेगा कि प्लेटलेट्स काउंट गिरने का कारण कोरोना है या डेंगू.
कोरोना बोन मैरो को भी कर रहा इंफेक्ट
दरअसल, डॉक्टरों की मानें तो कोरोना मरीजों को थॉम्बोसिस की समस्या आ रही है. जिसके कारण उनके खून के थक्के जम जाते हैं. जिसके बाद टीपीए इंजेक्शन का डोज दिया जाता है, ताकि क्लॉट घुल जाए. लेकिन इसके कारण कुछ मरीजों की नसें भी फट जाती हैं. जिसके अंदरूनी रक्त रिसाव होने लगता है. इस अवस्था को सीवियर थोंबोसाइटोपीनिया भी कहा जाता है. इस अवस्था में पाया गया है कि कोरोना वायरस मरीज के बोन मैरो को बुरी तरह इंफेक्ट कर देता है.