मुंबई : कोरोना टेस्ट की संख्या बढ़ाओः देवेंद्र फडणवीस
मुंबई : नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने मांग की है कि मुंबई में कोरोना टेस्ट की संख्या बढ़ाई जाए। इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी है। फडणवीस ने लिखा है कि जुलाई की तुलना में अगस्त में मुंबई में केवल 14 प्रतिशत अधिक कोरोना टेस्ट किए गए, जबकि महाराष्ट्र के मामले में यह दर 42 फीसदी है। फडणवीस ने चिट्ठी में लिखा है कि मुंबई में जुलाई में प्रतिदिन कोरोना टेस्ट की संख्या 6574 थी। अगस्त में यह संख्या बढ़कर 7709 हो गई। यह वृद्धि केवल 14 प्रतिशत है, जबकि पूरे महाराष्ट्र में जुलाई में 37,528 लोगों की जांच हो रही थी, जो अगस्त में बढ़कर 64,801 हो गई। यह 42 प्रतिशत की वृद्धि है। महाराष्ट्र में अगस्त में संक्रमण दर 18.44 प्रतिशत रही, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
मुख्यमंत्री के नाम लिखी यह चिट्ठी बुधवार की सुबह मीडिया में जारी की गई। शाम को फडणवीस ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार कोविड-19 महामारी से निपटने की जगह अधिकारियों का तबादला करने में ज्यादा दिलचस्पी लेती दिख रही है। सरकार पर तंज कसते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि तबादले के मुद्दे पर समन्वय की कमी दिख रही है। उन्होंने कहा कि महामारी को ध्यान में रखते हुए इस साल अधिकारियों का तबादला स्थगित भी किया जा सकता है। लेकिन पूरी सरकार सिर्फ तबादलों में व्यस्त है। लगता है सरकार के पास फिलहाल तबादला करना ही एकमात्र काम रह गया है।
राज्य सरकार कोरोना जांच की फीस और कम करने पर विचार कर रही है। सरकार जल्द ही इस बारे में फैसला लेगी। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने दी। बुधवार को जनता दरबार में उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना टेस्ट की फीस फिलहाल 1900 रुपये है और इसे घटाकर 1200 रुपये तक लाया जाएगा। इस बारे में जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना का फैलाव चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि अमीर लोग आईसीयू बेड को रोक रहे हैं। बिना कोरोना लक्षणों के अमीर लोगों के अस्पताल में भर्ती होने से जरूरतमंद लोगों को वक्त पर आईसीयू में जगह नहीं मिल पाती। यह उचित नहीं है। कम कोरोना टेस्ट जैसी कोई स्थिति नहीं है। एक व्यक्ति के पॉजिटिव पाए जाने पर उसके 20 संपर्कों का पता लगाया जा रहा है। आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के बाहर राज्य सरकार कोई काम नहीं कर रही है, कुछ भी छिपाया नहीं जा रहा है।