नवी मुंबई : अटकलों का बाजार गर्म, NCP में जाएंगे गणेश नाईक!
नवी मुंबई : लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी और शरद पवार को राम राम बोलकर भाजपा का कमल थामने वाले गणेश नाईक के पार्टी छोड़ने को लेकर कुछ खबरें सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं. यह मामला उनके बेटे पूर्व सांसद संजीव नाईक के कुछ समर्थकों द्वारा राष्ट्रवादी में प्रवेश के बाद और भी गरमा गया है. जानकारी के मुताबिक ठाणे में संजीव नाईक के कुछ समर्थक भाजपा को छोड़कर हाल ही में एनसीपी में शामिल हो गए हैं, जिसके बाद यह खबर तेजी से फैलने लगी है कि आने वाले समय में नाईक फेमिली फिर राष्ट्रवादी का दामन थाम सकती है. हालांकि इसका कोई आधार नहीं दिखता. समर्थक इन खबरों को गणेश नाईक की छवि खराब करने विरोधियों की साजिश बता रहे हैं.
गौरतलब है कि पूर्व मंत्री गणेश नाईक का बीते 20 सालों से ठाणे जिले में एकछत्र राज रहा है. पर्यावरण मंत्री, उत्पादन शुल्क, अपारंपरिक ऊर्जा मंत्री, पालकमंत्री, श्रम मंत्री समेत तमाम मंत्रालयों का प्रोफाईल संभाल चुके गणेश नाईक भले ही राज्य के बड़े नेता रहे हैं लेकिन उनका फोकस नवी मुंबई और ठाणे जिले पर सबसे अधिक रहा है. तबके वसंत डावखरे और अब के मंत्री जितेन्द्र आह्वाड़ और पालकमंत्री एकनाथ शिंदे सब उनके वर्चस्व को तोड़ने की कोशिश करते रहे हैं.
फिलहाल वर्तमान पालकमंत्री शिंदे भूतपूर्व पालकमंत्री नाईक से ऊंचा राजनीतिक तिलिस्म स्थापित करना चाहते हैं. इसलिए हर वो मौका नहीं छोड़ते जहां नाईक सक्रिय होते हैं. लॉकडाउन काल में भी जिन जिन मुद्दों को लेकर विधायक गणेश नाईक मुखर हुए हैं उन सब मुद्दों को पालकमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाइजैक कर लिया है.कोविड केयर हॉस्पिटल, कोरोना औषधियों और वेंटिलेटर की उपलब्धता , या मनपा आयुक्त से नवी मुंबईकरों के लिए रैपिड एन्टीजेन टेस्ट की मांग. शिंदे का पैंतरा गणेश नाईक का गेम खराब करता रहा है.
खबर है कि पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने गणेश नाईक को नवी मुंबई के मनपा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है. माना जा रहा है कि इसी फैसले के बाद से नाईक के खिलाफ एनसीपी में जाने की खबरें फैलाई जा रही हैं. दरअसल नाईक के विरोधी सिर्फ एनसीपी, शिवसेना या कांग्रेस में ही नहीं है बल्कि उनकी अपनी पार्टी में भी अंदरखाने कई विरोधी हैं. जो नहीं चाहते कि गणेश नाईक का वर्चस्व फिर कायम हो.
नवी मुंबई की दोनों विधानसभा सीटें भाजपा के कब्जे में हैं लेकिन दोनों ही विधायकों में जबरदस्त खींचतान है. पार्टी सूत्रों की मानें तो नाईक और मंदा की वर्चस्व की इस लड़ाई में नवी मुंबई भाजपा फलने फूलने की बजाय कई खेमों में बंटती जा रही है. अब जिलाध्यक्ष घरत का तीसरा ग्रुप भी उभरने लगा है. राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि मंदा म्हात्रे का ईगो और गणेश नाईक का वर्चस्व भाजपा को कभी भी मजबूत नहीं होने देगा. अगर ऐसा ही रहा तो अगला मनपा चुनाव विरोधियों की बजाय खुद भाजपाईयों के बीच लड़ा जाएगा.