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मुंबई : महाराष्ट्र में अब तक कोरोना का एक भी केस और कोरोना से होने वाली एक भी मौत की जानकारी नहीं छुपाई है। कोरोना से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं, वह पूरी तरह से पारदर्शी हैं। यह दो टूक ऐलान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सामने किया। 

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस साफ-साफ ऐलान ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दावे को गलत और झूठा साबित कर दिया जिसमें वह राज्य की महा विकास आघाडी सरकार पर कोरोना मरीजों की जानकारी छुपाने और कोरोना से होने वाली मौतों को कम करके बताने का आरोप लगाते आ रहे हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री के साथ हुई विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कोरोना से निपटने के लिए किए जा रहे विविध उपायों और उपक्रमों की सिलसिलेवार जानकारी प्रस्तुत की। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना का संक्रमण और उसके बाद लॉकडाउन से पैदा हुई स्थिति में आम लोग तीन तरह की मानसिकता में जी रहे हैं। कुछ लोगों के मन में कोरोना को लेकर भयानक डर है। कुछ लोगों की यह मानसिकता है कि कुछ नहीं होता और तीसरी मानसिकता मजबूरी में रोजी रोजगार के लिए घर से बाहर निकलने की है। राज्य सरकार इन तीनों मानसिक स्थितियों में कोरोना से निपटने और लोगों को ज्यादा से ज्यादा राहत पहुंचाने का काम कर रही है। 

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि राज्य में कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और अन्य सुविधाओं से सुसज्जित साढ़े तीन लाख बेड उपलब्ध हैं, लेकिन इन सुविधाओं को मरीजों के लिए समुचित रूप से उपलब्ध कराने वाले डॉक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों की बड़ी संख्या में जरूरत है। 

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ साथ देश के अन्य मुख्यमंत्रियों को बताया कि महाराष्ट्र कोरोना मरीजों की मृत्यु दर पर नियंत्रण पाने की जी जान से कोशिश कर रहा है। मुंबई में धारावी और वर्ली जैसे सघन बस्ती वाले इलाकों में कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए दुनिया भर में महाराष्ट्र और मुंबई की तारीफ हो रही है, लेकिन हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। हमारी पूरी कोशिश यह है कि हम महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के फैलाव की दूसरी लहर न आने दें। इसके लिए शासन और प्रशासन के स्तर पर पूरी एहतियात बरती जा रही है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देखने में आ रहा है कि कोरोना ग्रस्त मरीज जो इलाज के बाद ठीक होकर अपने घर चले जाते हैं वे दूसरी बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए कोरोना के उपरांत भी उनके इलाज के लिए एक सक्षम व्यवस्था तैयार किए जाने की जरूरत है। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की की महाराष्ट्र मुंबई समेत राज्य के सभी जिलों में संक्रमण रोग नियंत्रण अस्पतालों को शुरू करना चाहता है। अलावा इसके इम्यूनोलॉजी प्रयोगशालाओं की संख्या बहाने बढ़ाने और विभिन्न प्रकार के वायरस के संक्रमण से फैलने वाले रोगों पर और अधिक अनुसंधान की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस ने हमें काल करे सो आज कर, आज करे सो अब करने की सच्ची सीख दी है। 

मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र में गरीबों के हित में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी प्रधानमंत्री को देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही शिव भोजन योजना का लाभ हर महीने लाखों गरीब लोगों को मिल रहा है। इस योजना के तहत राज्य सरकार 5 रुपये में गरीबों को भरपेट भोजन उपलब्ध करा रही है। जिसका सीधा लाभ राज्य की गरीब जनता को हो रहा है। इतना ही नहीं पिछले सप्ताह राज्य सरकार ने कुपोषण निर्मूलन के लिए आदिवासी बच्चों और आदिवासी गर्भवती माताओं को मुफ्त में दूध पाउडर उपलब्ध कराने का फैसला किया है। 

प्रधानमंत्री के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा की वर्तमान हालात में कॉलेजों के अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द की जानी चाहिए और उन्होंने प्रधानमंत्री से यह मांग भी की कि परीक्षाओं के बारे में सारे देश के लिए एक समान फैसला होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल के अंतिम वर्ष की परीक्षा के बारे में भी तत्काल निर्णय लेने की जरूरत है। अगर मेडिकल विद्यार्थियों की इच्छा के अनुसार उनकी मौखिक परीक्षा आयोजित कर रिजल्ट घोषित किया जाए तो परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले डॉक्टरों की मदद कोरोना से लड़ने में ली जा सकती है। 


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