और सावधान
भारत में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में तेजी चिंताजनक जरूर है, लेकिन अप्रत्याशित नहीं। भारत की जो स्थिति या आबादी है, उससे किसी भी देश की तुलना संभव नहीं है। फिर भी आंकड़ों की तुलना तो होगी और चिंता का इजहार भी उत्तरोत्तर बढ़ता जाएगा। हमें अब किसी भी देश से तुलना करने की बजाय अपने आंकड़ों के बयान पर गौर करना चाहिए। हमारे आंकड़े हमारी अपनी कहानी बयान कर रहे हैं। जिस देश में कोरोनाके आंकड़ेको एक लाख तक पहुंचने में 100 से ज्यादा दिन लगे थे। उसी देश में पिछले दस लाख मामलों में मात्र 21 दिन लगे हैं। केवल एक दिन में अगर 62 हजार से ज्यादा मामले आएंगे, तो फिर तो हम सहज अनुमान लगा सकते हैं कि आगामी 50 दिनों में भारत की स्थिति क्या हो सकती है? 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आया था और शुरू में बहुत धीरे-धीरे मामले बढे़ थे। विशाल आबादी के बावजूद भारत कोरोना मामलों के अग्रणी राष्ट्रों में कहीं दूर-दूर तक नहीं था। तब भी आशंका पूरी थी कि भारत में तेजी से संक्रमण हो सकता है और अभी वही हो रहा है। हालांकि, इसका कतई यह अर्थ नहीं कि हम किसी बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं। भारत में अगर 20 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं, तो उनमें ठीक होने वाले 13 लाख से ज्यादा लोग शामिल हैं। सक्रिय मरीजों की संख्या करीब साढ़े छह लाख ही है। मोटे तौर पर अगर देखें, तो भारत में प्रतिदिन 40 हजार से ज्यादा मरीज ठीक हो रहे हैं, जबकि रोज 50 हजार से ज्यादा नए मरीज मिल रहे हैं। हमें इन दोनों के बीच के अंतर को न केवल पाटना है, बल्कि नए मरीजों की संख्या को ठीक होने वाले मरीजों की संख्या से कम भी करना है। जिस तैयारी के साथ भारत लड़ रहा है, उसमें हमारी यह कामयाबी नामुमकिन नहीं है।
संक्रमण के ज्यादा मामलों के सामने आने के पीछे एक और कारण है। 1 अप्रैल को जहां भारत में बमुश्किल 4,000 टेस्ट हो पाए थे, वहीं अब रोजाना चार लाख से ज्यादा कोविड टेस्ट आसानी से हो रहे हैं। यह पहले भी कहा गया है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इशारा किया था कि भारत में चूंकि टेस्ट कम हो रहे हैं, इसलिए मामले कम सामने आए हैं। यह स्वाभाविक है। ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करना आज जरूरी है, लेकिन टेस्ट के बाद जो आंकडे़ सामने आएं, तो उनसे घबराना ठीक नहीं। अपनी पूरी घबराहट को सावधानी में बदल देने में ही इस वक्त हमारी भलाई है। हमारा देश बहुत बड़ा है, हमारे देश में आंकड़े छिपाए नहीं जाते। हमारे यहां अगर सबसे ज्यादा इंजीनियर-डॉक्टर हैं, तो सबसे ज्यादा रोगी भी हो सकते हैं। आज अगर भारत में संक्रमण दर सबसे तेज हो गई है, और अगर पिछले सात दिनों में हमारी कोरोना वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा हो गई है, तो इसका श्रेय हमारी विशाल आबादी को भी जाता है। हमें किसी भी स्तर पर आंकड़ों से भयभीत नहीं होना है, और न ही उन्हें छिपाना है। कोरोना पर विजय के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने की जरूरत है। संदिग्धों को खोज-खोजकर क्वारंटीन करना और हर संभव इलाज समय की मांग है। हमारी निगाह ठीक होने वालों की बढ़ती संख्या पर रहनी चाहिए, ताकि हम किसी भी अवसाद से बचें और अपने बचाव में हरसंभव सावधानी बरतें।