Latest News

भिवंडी/मुंबई : कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण स्कूल, कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, लेकिन छात्रों को शैक्षणिक नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा पद्धति लागू की है। हालांकि सभी क्षेत्रों में इस पद्धति का लाभ नहीं मिल सकता। ग्रामीण इलाके के एक करोड़ 66 लाख छात्र इसकी पहुंच से बाहर हैं। यह आरोप श्रमजीवी संगठन के संस्थापक एवं आदिवासी योजना समिति के अध्यक्ष विवेक पंडित ने लगाया है। उन्होंने कहा है कि स्मार्टफोन न होने एवं अधिकांश इलाकों में बिजली की सुविधा न होने से ग्रामीण इलाके के छात्र इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे।
ग्रामीण इलाकों के 1.66 करोड़ छात्रों को पढ़ाई होगी प्रभावित
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण शैक्षणिक वर्ष बदल गया है और नया शैक्षणिक वर्ष शुरू हो गया है, लेकिन स्कूल खोलना मुश्किल हो गया है। सरकार ने ऐसी परिस्थिति में शैक्षणिक नुकसान से बचने के लिए ऑनलाइन शिक्षण का विकल्प चुना है। विवेक पंडित ने आरोप लगाया है कि कनेक्टिविटी का अभाव होने के कारण राज्य के ग्रामीण इलाकों के एक करोड़ 66 लाख छात्र इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे। उन्होंने मांग की है कि सरकार को उनके लिए स्मार्टफोन की व्यवस्था करनी चाहिए।

पंडित ने राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड को भेजे गए पत्र में कहा है कि राज्य सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को यह जरूरी चीजें निःशुल्क प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने पत्र में कहा है कि वर्तमान में महाराष्ट्र में 1 लाख 6 हजार 327 प्राथमिक विद्यालय और 27 हजार 446 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। इन स्कूलों में 2 करोड़ 24 लाख छात्र पढ़ रहे हैं। इनमें ग्रामीण और दूरदराज इलाके के स्कूलों की संख्या 99 हजार 144 है, जो कुल स्कूलों की 74.16 प्रतिशत है। इनमें छात्रों की संख्या कम से कम 1 करोड़ 66 लाख है।

Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement