मुंबई : अपने देश में बेगाने हुए मजदूर
मुंबई : कोरोना के चलते देशव्यापी लॉकडाउन का सबसे बड़ा खामियाजा प्रवासी मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है.महीने भर से लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे बेरोजगार मजदूर आखिर मजबूर होकर अपने बाल-बच्चों को लेकर पैदल ही सैकड़ों किमी दूर अपने गांव की ओर रवाना हो गए हैं.
मजदूरों के सब्र का बांध टूटते देख केंद्र सरकार ने पिछली एक मई से श्रमिक ट्रेन चलाने का निर्णय लिया,इसके बावजूद हजारों की संख्या में मुंबई,ठाणे, पालघर,गुजरात के सूरत,वापी आदि स्थानों से पैदल यूपी,बिहार के लिए निकले मजदूर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश की सीमाओं पर अटके हुए हैं. भूखे, प्यासे ये मजदूर अपने ही देश में बेगाने हो गए हैं.मुंबई एवं आसपास के इलाकों से पैदल यूपी के लिए निकले मजदूर बड़ी संख्या में धुलिया, इंदौर,बुराहनपुर सहित पश्चिमी मध्य प्रदेश में अलग -अलग स्थानों फंसे हुए हैं.
अधिकारियों के अनुसार इन प्रवासी मजदूरों में सबसे बड़ी संख्या महाराष्ट्र से पलायन करने वाले मजदूरों की है.इनमें से ज्यादातर श्रमिक मुंबई-आगरा राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक-तीन से होकर अपने मूल गांव की ओर रवाना हुए थे.इन्हें मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश के बाद आगे बढ़ने से कई जगह रोका गया. बीच रास्ते में फंसे इन मजदूरों में उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों की बहुलता है.
बुरहानपुर की एक महिला अधिकारी ने बताया कि मजदूरों को छोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से बात हुई,परन्तु उन्होंने कोई जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया.मुंबई के एक स्टेशन की कैंटीन में काम करने वाले रीवां के अजय कुमार साकेत ने बताया कि उनके साथ कई लोग एमपी बॉर्डर तक पैदल आए,उसके बाद बुरहानपुर से उनके गांव रीवां,सीधी आदि जगहों पर के लिए सरकारी बसों और खाने-पीने की मुफ्त व्यवस्था अधिकारियों ने की.जबकि किसी तरह यूपी की सीमा पर पहुंच रहे मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो रही है.
मुंबई में लाइटिंग का काम करने वाले अखिलेश उपाध्याय मोटरसाइकिल से अपने गांव जौनपुर पहुंच गए.उपाध्याय ने बताया कि लोग लगातार सड़कों पर पैदल चल रहे हैं. चिलचिलाती गर्मी के बीच अपने परिवार के साथ सैकड़ों किलोमीटर का मुश्किल सफर तय करने वाले हजारों लोगों के लिए यूपी सरकार कोई निर्णय नहीं ले पा रही है,जबकि मध्य प्रदेश सरकार सीमा पर पहुंचे अपने राज्य के मजदूरों को उनके जिलों तक पहुंचाने के लिए बस की व्यवस्था कर रही है.बताया गया कि मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले पुलिस के रोके जाने पर भड़के सैकड़ों प्रवासी मजदूर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-तीन पर चक्काजाम करने लगे.
चश्मदीदों के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-तीन पर बड़वानी के बिजासन घाट से इंदौर शहर के करीब 170 किलोमीटर के रास्ते में भी सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को अपने गांव पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.इंदौर और इसके आस-पास के इलाकों में भी प्रवासी श्रमिक फंसे हैं.मुंबई और आसपास के प्रवासी मजदूर प्रचंड गर्मी में पैदल ही 1600 किलोमीटर की यात्रा पर निकल गए हैं.मुंबई-नासिक राजमार्ग पर पैदल यूपी जा रहे दिवा के राजकुमार साहू ने बताया कि उनके पास यूपी का आधारकार्ड न होने से पुलिस भी ट्रेन से भेजने के लिए तैयार नहीं.कई महिलाएं तो कंधे पर अपने मासूम बच्चे को लेकर अपने घर जा रही हैं.
राज्य की सीमाओं पर फंसे मजदूरों को उनके गांव तक पहुंचाने को लेकर यूपी के अधिकारियों से समन्वय का अभाव साफ नजर आ रहा है. धुलिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश के अधिकारी अपने राज्य के मजदूरों को लाने की व्यवस्था सीमा पर कर रहे हैं, परंतु यूपी के अधिकारी कह रहे हैं कि ट्रेन से आने वाले मजदूरों के लिए ही व्यवस्था किए जाने का निर्देश है. इस तरह पैदल यूपी जाने वाले हजारों मजदूरों की व्यवस्था को लेकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के अधिकारी भी असमंजस में हैं.राज्य के अधिकारियों का कहना है कि वैसे भी अन्य राज्यों की अपेक्षा यूपी जाने वाले लोगों के लिए औपचारिक अनुमति लेने में मुश्किलें आ रही हैं.
इधर प्रवासियों की मुश्किलें कम करने की बजाय सभी दलों के उत्तर भारतीय नेता राजनीतिक बयानबाजी में ही लगे हुए हैं.वैसे भी महाराष्ट्र से गोरखपुर और लखनऊ के लिए अभी तक मात्र 3-4 स्पेशल ट्रेनें छोड़ी गईं हैं, जबकि मजदूरों की संख्या लाखों में है.अब तक ज्यादा श्रमिक ट्रेनें सीधे बिहार और मध्य प्रदेश के लिए छोड़ी गई हैं.पूर्वांचल के जिलों जौनपुर, बनारस, आजमगढ़, बस्ती, बलिया, गोंडा आदि जिलों के मजदूर मुंबई सहित आसपास के इलाकों में फंसे हुए हैं. यूपी पैदल जा रहे हजारों बेसहारा भूखे-प्यासे मजदूर अपने लिए कम से कम खाने-पीने की आस तो सरकार से कर ही सकते हैं.