मुंबई : अगर मरकज यात्रा नहीं होती तो धर्म पर कौनसी आंच आ जाती ?
मुंबई, एक तरफ जहाँ पूरा राष्ट्र कोरोना के प्रकोप से लड़ रहा है। वहीं जिस प्रकार मरकज के लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं उससे संजय राउत ने मरकज को आड़े हाथो लेते हुए कहा है कि यह लोग हिन्दू-मुस्लिम एकता पर प्रहार कर रहे हैं। संजय राउत ने यह बयान दिया है कि जहाँ एक तरफ मुस्लिम समुदाय इस कठिन समय में राष्ट के साथ कदम से कदम मिलते हुए अपनी राष्ट्रिय भावना की मिसाल दी है वहीँ मरकज के लोगो ने ऐसे समय पर हिन्दू-मुस्लिम की इस एकता पर श्रद्धांजलि चढ़ा दी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के इन अज्ञानी मुसलमानों को 'मक्का-मदीना' से कुछ ज्ञान ले लेना चाहिए ।
उन्होंने आगे यह भी कहा है कि यह लोग मरकज की जमात में क्यों शामिल हुए हैं जो कि 'लॉक डाउन' में एक अपराध है और इससे कैसे इस्लाम खतरे में आएगा। उन्होंने यह भी कहा की अब इन लोगों को स्वयं आगे आकर अपने बारे में बताना चाहिए जिससे संक्रमण की रोकथाम हो सके। जो लोग ऐसा नहीं करेंगे वह इस राष्ट्र के साथ धोखा करने जैसे होगा। उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया कि जहाँ एक तरफ दुबई, कुवैत, बहरीन और सऊदी अरब जैसे देशों में मस्जिदें बंद कर दी गई हैं। वहां पर उनके शासको ने लोगो से घर से इबादत करने को कहा है। वे भी तो मुसलमान हैं और इस्लाम को मानते हैं। अगर राष्ट्रीय और सामाजिक सुरक्षा के लिए मस्जिद और सार्वजनिक प्रार्थना घरों में अगर प्रतिबंध लगा है तो 'इस्लाम' का कोई खतरा नहीं हो रहा लेकिन अगर दिल्ली में 'मरकज' यात्रा नहीं होती उनके धर्म पर भी कोई आंच नहीं आती ऐसा उन्होंने 'सामना' में उन्होंने अपने लेख में लिखा है।