नागपुर : यस बैंक में जमा विवि के 191 करोड़ पर संकट
नागपुर : रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग करते हुए उस पर प्रशासक नियुक्त कर दिया. इसके साथ ही बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई है. इस निर्णय के बाद आरटीएम नागपुर विवि का भी आर्थिक व्यवहार दिक्कतों में फंसने वाला है. शुक्रवार की सीनेट बैठक में सदस्यों ने विवि प्रशासन को सवालों के कटघरे में खड़ा किया. सदस्यों का कहना था कि राष्ट्रीयकृत बैंक होने के बावजूद निजी बैंक में रकम क्यों रखी गई. सदस्यों ने इस मामले की जांच निवृत्त न्यायाधीश करने की मांग की है.
आरबीआई द्वारा पाबंदियां लगाए जाने के बाद अब खाताधारक बैंक से 50,000 रुपसे से अधिक रकम नहीं निकाल सकते. कुछ वर्ष पहले हुए करार के तहत विवि ने यस बैंक के साथ व्यवहार की शुरुआत की. विवि ने अपनी आनलाइन सर्विस के लिए यस बैंक के साथ करार किया था. इस वजह से विवि को बैंक में करोड़ों रुपये जमा रखना पड़ा. शुक्रवार को विवि की नई प्रशासकीय इमारत में आयोजित सीनेट बैठक में सदस्यों ने पूछा कि बैंक में विवि की कितनी रकम जमा है.
वरिष्ठ सदस्य बबनराव तायवाड़े, एड. मनमोहन वाजपेयी, विष्णु चांगदे और प्रवीण उदापुरे ने प्रशासन पर प्रश्नों की झड़ी लगा दी. राष्ट्रीयकृत बैंकों के पास निधि जमा करने संबंधी अध्यादेश होने के बाद भी निजी बैंक में चालू खाता क्यों रखा गया. सदस्यों ने विवि के इस निर्णय पर संदेह व्यक्त किया. तायवाड़े ने समूचे प्रकरण की जांच निवृत्त न्यायाधीश के माध्यम से करने की मांग की, लेकिन उपकुलपति ने मांग को नकार दिया, जबकि सीनेट सदस्य और चार्टर्ड अकाऊंटंट जगदीश जोशी के मार्गदर्शन में एक समिति बनाने की घोषणा की. वित्त व लेखा अधिकारी राजू हिवसे ने बताया कि विवि के करीब 191 करोड़ रुपये यस बैंक में जमा है, जबकि चालू खाते में में 1-2 करोड़ है. रकम मांगने के लिए विवि द्वारा रिजर्व बैंक से पत्र व्यवहार करने की जानकारी दी.