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मुंबई : फेरीवालों के लिए जगह आवंटन के पहले ही उसका विरोध शुरू हो गया है। नगरसेवकों ने आरोप लगाया है कि बीएमसी के लाइसेंस विभाग ने निवासियों से बिना रायमशविरा के मनमाने तरीके से पॉलिसी बनाई है। जिससे भविष्य में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। स्थायी समिति की बैठक में विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के नगरसेवकों ने भी हॉकर्स पॉलिसी को रद्द कर नई पॉलिसी बनाने की मांग की। शिवसेना की विशाखा राउत ने स्थायी समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि फेरीवाले हर जगह अपने पांव फैला रही हैं ,बीएमसी का लाइसेंस विभाग क्या कर रहा है? सेनापति बापट मार्ग जहां पहले एक भी हॉकर्स नहीं थे, वहां अब लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बीएमसी द्वारा बनाई गई हॉकर्स पॉलिसी में ऐसे एरिया को शामिल किया है जहां उसका कोई औचित्य नहीं है।

राउत ने कहा कि पुरानी पॉलिसी को रद्द कर स्थानीय लोगों और नगरसेवकों की सहमति से नई पॉलिसी बनाई जाए।नेता विपक्ष रवि राजा ने कहा कि हॉकिंग जोन वाहन बनाया जाए जहां हॉकर्स पहले से बैठते हों.जहां सड़क साफ है,वहां फेरीवालों के लिए बिजनस भी नहीं है, ऐसे इलाकों को हॉकर्स जोन बनाए जाने का क्या मतलब है। उन्होंने भी कहा कि नई पॉलिसी बनाते समय नगरसेवकों को उसमें जरूर शामिल किया जाए।

बता दें कि बीएमसी लाइसेंस डिपार्टमेंट ने मुंबई में 10 फरवरी से इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया है। बीएमसी ने मुंबई के सभी 24 वार्ड की 1366 सड़कों पर फेरीवालों को जगह आवंटित करने की योजना बनाई है। फेरीवालों की लिस्ट फाइनल करने के लिए समिति की पिछली बैठक में जोन 2 में (वर्ली, परेल, माटुंगा) और जोन 6 ( घाटकोपर, भांडुप, मुलुंड) की सूची तैयार की गई। पात्र फेरीवालों की सूची को टाउन वेंडिंग कमिटी (टीवीसी) की मंजूरी मिल गई है। जल्द ही इन्हें आई-कार्ड जारी करने की तैयारी है।

मुंबई में पांच साल पहले किए गए फेरीवाला सर्वेक्षण की समयसीमा वर्ष 2019 में समाप्त हो गई, इसलिए राष्ट्रीय फेरीवाला नीति के अनुसार बीएमसी फेरीवालों का नया सर्वेक्षण करेगी। नए सर्वेक्षण में पहले फेरीवाला के रूप में सबूत न दे पानेवाले लोगों को कागजात एक बार और जमा करने का मौका मिलेगा। वर्ष 2014 में बीएमसी ने कोर्ट के आदेश के बाद सड़कों को जाम मुक्त करने और अवैध फेरीवालों को हटाने के लिए सबसे पहले हॉकर्स पॉलिसी को मंजूरी दी थी। उस समय सर्वेक्षण किया और 99,435 फेरीवालों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था,लेकिन दस्तावेजों की जांच के बाद केवल 15,000 फेरीवाले पात्र पाए गए थे। जबकि 83 हजार कागजात पेश करने में नाकाम रही थे।

फेरीवाला संगठन का दावा है कि मुंबई में दो से तीन लाख फेरीवाले पिछले 50 से 60 वर्षों से फुटपाथ पर व्यवसाय करते हैं। उसमें से काफी लोगों के पास सबूत मौजूद है, जब कि कुछ के सबूत बीएमसी की कार्रवाई के दौरान जल्दबाजी में खो हो चुके हैं। इसलिए ऐसे फेरीवालों को भी पत्र घोषित किया जाए। यह मांग आजाद फेरीवाला संगठन के नेता दयाशंकर ने बीएमसी से की है। वहीं बीएमसी ने उनकी मांग को नकारते हुए कहा है कि जिसके पास सबूत होगा उसी को हॉकर्स जोन में जगह दी जाएगी। इस सम्बन्ध में महापौर किशोरी पेडणेकर, कमिश्नर प्रवीण परदेशी, स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव की मौजूदगी में हुई बैठक में बीएमसी लाइसेंस विभाग ने बताया कि 85 हजार जगह चिन्हित हो चुकी है, जहां फेरीवालों को स्थापित किया जाएगा।


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