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मुंबई : बीएमसी के नगरसेवकों ने स्थायी समिति की बैठक में रोड के कामों में हो रही देरी का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया। नगरसेवकों ने बीएमसी प्रशासन पर आरोप लगाया है कि लगभग 2,000 करोड़ रुपये की सड़क विकास परियोजनाओं पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। नई प्रस्तावित भुगतान प्रणाली के बाद मनपा प्रशासन और ठेकेदारों के बीच जारी गतिरोध के कारण सैकड़ों सड़कों के मरम्मत की निविदाओं को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। नगरसेवकों ने आशंका जताई कि इससे मरम्मत कार्यों में देरी हो सकती है, क्योंकि पिछले दो महीनों में रोड रिपेयर का नाममात्र का काम हुआ है।
विपक्षी दलों के साथ सत्तारूढ़ शिवसेना ने भी गतिरोध पर चिंता जताई। नगरसेवकों का आरोप है कि इससे मॉनसून के दौरान खराब और गड्ढों से भरी सड़कों के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। समाजवादी पार्टी के ग्रुप लीडर रईस शेख ने मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी ठेकेदारों के लिए नई भुगतान प्रणाली पर कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। लगभग 2,000 करोड़ रुपये की सड़क की मरम्मत और विकास कार्य सिर्फ इसलिए लंबित हैं, क्योंकि बीएमसी कमिश्नर कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं।
क्या है मामला?
रोड के कामों का भुगतान बीएमसी ने 60:40 के फॉम्युले पर देने का मन बनाया था। जिसके तहत, काम पूरा होने पर 60 प्रतिशत जबकि बाकी 40 प्रतिशत पांच सालों में सही ढंग से देखरेख का काम होने पर देने का इरादा था। ठेकेदार इस पद्धति का विरोध कर रहे हैं। इसके चलते कार्य की लागत बढ़नी तय है। लागत को लेकर प्रशासन की ठेकेदारों से बातचीत चल रही है। शुक्रवार को शेख ने बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा कि प्री-मॉनसून आने में सिर्फ 3-4 महीने बचे हैं, इसलिए वह तेजी से निर्णय लें। जिससे मुंबई की सड़कों की दशा सुधारी जा सके।



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