मुंबई : मंत्री न बनने पर फूटा समर्थकों का गुस्सा, खून से खत, तोड़फोड़
मुंबई : महाविकास आघाडी मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी विधायकों की नाराजगी दिखने लगी है। मंत्री नहीं बनाए जाने से विधायकों के नाराज समर्थक कहीं खून से पत्र लिख रहे हैं, तो कहीं कार्यालय में घुसकर तोड़फोड़ की जा रही है। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के विस्तार के एक दिन बाद, कांग्रेस खेमे से भी असंतोष के सुर सुनाई देने लगे हैं। एक वरिष्ठ नेता ने यह उम्मीद जताई कि पार्टी उन वफादारों की भावनाओं का ध्यान रखेगी, जिन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है जबकि वे हकदार थे। वहीं शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं ने उद्धव ठाकरे पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी और सोलापुर से तीन बार की विधायक प्रणीति, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को भी मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल नहीं किया गया है। इससे नाराज उनके समर्थक व सोलापुर जिले के कांग्रेस अध्यक्ष नितिन नागने ने अपने खून से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा। हालांकि प्रणिति शिंदे का कहना है कि कैबिनेट में स्थान नहीं मिलने से वह नाराज नहीं है।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम, दिवाकर रावते, रवींद्र वायकर, दीपक केसरकर और तानाजी सावंत जैसे अपने नेताओं को जगह नहीं दी। गुहागर के विधायक और वरिष्ठ नेता भास्कर जाधव ने अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए उन्होंने सीधे उद्धव ठाकरे पर हमला बोला। उनका कहना है कि ठाकरे ने जो आश्वासन दिया था, उसे पूरा नहीं किया। जाधव का कहना है कि मैं राजनीति में कई साल से हूं। मैंने राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। इतना अनुभव होने के बावजूद मुझमें कहां कमी रह गई, यह समझ में नहीं आ रहा है। कई और भी विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज है। पुणे के भोर क्षेत्र से तीन बार कांग्रेस के विधायक और वफादार संग्राम थोप्टे को मंत्रिमंडल में जगह न मिलने पर उनके समर्थक भड़क गए और उन्होंने मंगलवार को पुणे में पार्टी कार्यालय पर हमला कर दिया। पुलिस ने बताया कि थोप्टे के समर्थकों ने यहां कांग्रेस भवन पर हमला किया और उसमें तोड़फोड़ की। उन्होंने थोप्टे को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने पर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ नारेबाजी की। थोप्टे पूर्व मंत्री अनंतराव थोप्टे के बेटे हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की विकास अघाड़ी सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद कांग्रेस के राजनीतिक परिवारों के समर्थकों के बीच नाराजगी फैल गई है।