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गाजियाबाद : भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी सस्पेंड इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान से जेल में पूछताछ के बाद विवेचक/सीओ ने अहम खुलासा किया है। सीओ के मुताबिक, गायब रकम का कुछ हिस्सा गाजियाबाद की बंद पड़ी एक फैक्ट्री में छिपा हुआ है। रकम बरामद करने के लिए विवेचक ने इंस्पेक्टर का 24 घंटे का रिमांड मांगा है। कोर्ट ने महिला इंस्पेक्टर को गुरुवार को जेल से तलब किया है। इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान और कांस्टेबल धीरज भारद्वाज ने सात नवंबर को मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में सरेंडर किया था। दोनों फिलहाल मेरठ जेल में बंद हैं। इस केस की जांच कर रहे गाजियाबाद के सीओ-द्वितीय आतिश कुमार सिंह ने 11 नवंबर को जेल में जाकर लक्ष्मी सिंह चौहान से पूछताछ की। सीओ के मुताबिक, लक्ष्मी चौहान ने 11 नवंबर को राजीव सचान और आमिर से 91.42 लाख रुपये बरामद किए। इतने सारे रुपये देकर इंस्पेक्टर के मन में खोट आ गया। लक्ष्मी चौहान ने केवल 45 लाख 85 हजार पांच सौ रुपये बरामद दिखाए। जबकि 45 लाख 56 हजार पांच सौ रुपये अपने पास रख लिए। इंस्पेक्टर ने इसमें से चार-चार लाख रुपये अपनी टीम के छह सदस्यों को बांटने की बात कुबूली है। जबकि 21 लाख 56 हजार 500 रुपये अपने पास रखने की बात स्वीकारी है।

सीओ ने बताया कि इसमें से आधे रुपये इंस्पेक्टर लक्ष्मी चौहान ने अपने पास रख लिए। कुछ रुपये सरकारी आवास पर खर्चे के छोड़ दिए, जबकि शेष रुपयों को गाजियाबाद के लिंक रोड थाने की बंद पड़ी फैक्ट्री में छिपाने की बात कही है। सीओ ने बताया कि कांस्टेबल धीरज भारद्वाज ने खुद के हिस्से में चार लाख रुपये आने की बात स्वीकारी है। विवेचक/सीओ ने रकम बरामद करने के लिए मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में लक्ष्मी सिंह चौहान के रिमांड को अर्जी दायर की। एडीजीसी सिराजुद्दीन अल्वी ने बताया कि रिमांड अर्जी पर सुनवाई के बाद गुरुवार को आरोपी महिला इंस्पेक्टर को जेल से तलब किया गया है।


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