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मुंबई : महाराष्ट्र में सरकार कौन और कैसे बनाएगा, यह सवाल अब भी बना हुआ है। सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना के नेता दिवाकर राउते अलग-अलग राज्यपाल से मिले थे। वैसे तो इसे शिष्टाचार भेंट कहा गया लेकिन सरकार बनाने को लेकर दोनों दलों में आम सहमति नहीं बन पाने से एक अनिश्चितता की स्थिति जरूर दिखाई दे रही है। शिवसेना का 50:50 फॉर्म्युला बीजेपी को मंजूर नहीं है। आए दिन शिवसेना बीजेपी पर निशाना साध रही है। इसे दबाव बनाने की उसकी रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। सामना में लिखे संपादकीय में फिल्म शोले का चर्चित डायलॉग दोहराया गया, '... इतना सन्नाटा क्यों हैं भाई? पार्टी का इशारा महाराष्ट्र के भविष्य को लेकर था। आपको बता दें कि 8 नवंबर तक नई सरकार का गठन होना है। कल बीजेपी ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई है, जिसमें विधानसभा में पार्टी का नेता चुना जाएगा। माना जा रहा है कि अपने सहयोगी पर दबाव बनाने के लिए कल ही बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार बनाने में रुकावट बने मुद्दों का हल निकालने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कल मुंबई पहुंच रहे हैं। शिवसेना के शीर्ष नेतृत्व के साथ मोलभाव के निपटारे के लिए शाह बुधवार को मुंबई जा सकते हैं। अगर शाह का दौरा होता है तो वह बीजेपी के विधायक दल की बैठक में भी मौजूद होंगे जिसमें देवेंद्र फडणवीस को औपचारिक तौर पर पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुना जा सकता है। राज्य के 15 निर्दलीय विधायकों में से अधिकतर ने बीजेपी को अपना समर्थन दिया है। इन विधायकों में से कई बीजेपी के बागी हैं। वैसे दोनों ही दल निर्दलीय विधायकों को अपने खेमे में जोड़ने की कोशिश में जुटे हैं।

शिवसेना के लिए सौदेबाजी कोई नई बात नहीं हैं। 2014 में चुनाव से कुछ दिन पहले बीजेपी के साथ 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ते हुए शिवसेना एक महीने तक विपक्ष में रही थी। बाद में फडणवीस सरकार के शपथ ग्रहण के दिन वह सरकार में शामिल हुई। एक महीने तक पार्टी कहती आ रही थी कि जब तक सत्ता पर समझौता नहीं होता है वह बीजेपी सरकार को विश्वास मत में समर्थन नहीं करेगी। वैसे, 2014 से इस बार स्थिति अलग है क्योंकि NCP ने बीजेपी को समर्थन देने का वादा नहीं किया है। 2014 की तुलना में बीजेपी मजबूत स्थिति में भी नहीं है। दोनों ही सहयोगी दलों की सीटें पिछली बार की तुलना में घटी हैं। आपको बता दें कि पहली बार शिवसेना ने बीजेपी के साथ 1989 में अलायंस किया था और उसके बाद से वह बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती आ रही थी लेकिन इस साल वह पहली बार जूनियर पार्टनर बनी। शिवसेना मुख्यमंत्री के पद पर भी दावा कर रही है और उसका कहना है कि प्रत्येक पार्टी को ढाई वर्ष के लिए यह पद मिलना चाहिए। बीजेपी को इस प्रपोजल पर आपत्ति है। हालांकि, ऐसे संकेत हैं कि बीजेपी उपमुख्यमंत्री का पद शिवसेना को देने के लिए तैयार है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर हमारे 'शिवसेना चाहे जो भी दावा करे, चुनाव से पहले 50-50 के फॉर्म्युले पर बातचीत नहीं हुई थी। सीट शेयरिंग पर चर्चा के दौरान भी यह मुद्दा नहीं उठा था। यह बीजेपी को स्वीकार्य नहीं है। बीजेपी के एक अन्य नेता का कहना था, 'अगर वे आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बनाते हैं तो हमारी ओर से एक और उप मुख्यमंत्री हो सकता है।' राज्य की पिछली सरकार में शिवसेना के पास कोई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो नहीं था और इस बार बीजेपी उसे कुछ बड़े मंत्रालय दे सकती है। राज्य की होम मिनिस्ट्री को लेकर खींचतान हो सकती है। उल्लेखनीय है कि राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए गत 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला है। एनडीए के घटक दलों में से बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और शिवसेना को 56 सीट मिली हैं।


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