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मुंबई : बीजेपी से सीएम पद पर जारी वाद-विवाद के बीच शिवसेना ने रविवार को कहा कि भले ही महाराष्ट्र की विधानसभा में उसकी सीट कम हों, लेकिन पावर का रिमोट उसके ही पास है। बीजेपी से महाराष्ट्र में 50-50 फॉर्म्युले पर सरकार बनाने की मांग कर रही शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने रविवार को पार्टी के मुखपत्र सामना में एक लेख लिखकर इस बारे में बीजेपी को साफ संदेश दे दिया। राउत ने लिखा, भले ही 2014 की अपेक्षा शिवसेना ने इस चुनाव में कम सीटों पर जीत हासिल की है, लेकिन सत्ता का रिमोट अब उद्धव ठाकरे के पास है।

सामना के कार्यकारी संपादक और शिवसेना के वरिष्ठ नेता राउत ने अपने लेख में लिखा कि प्रदेश में 164 सीटों पर चुनाव लड़कर 144 सीट जीतने की बात कहने वाली बीजेपी की रणनीति को मतदाताओं ने खारिज कर दिया है। जो चुनाव परिणाम आए हैं, वह बीजेपी की उस सोच की हार है जिसमें वह एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं को किसी भी तरह से अपने दल में शामिल कराकर अपना पक्ष मजबूत करना चाहते थे। राउत ने लिखा कि उदावनराजे भोंसले जैसे वो नेता जो कि एनसीपी से बीजेपी में शामिल हुए थे, वह चुनाव हार गए। यह परिणाम उन लोगों के लिए एक संकेत हैं, जिन्हें लगता है कि वह जो भी चाहें वह कर सकते हैं। बता दे कि शिवसेना की ओर से यह बयान उस वक्त आए हैं, जबकि शिवसेना और बीजेपी के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर आपसी खींचतान जारी है।

शिवसेना को रविवार को ही विदर्भ के एक छोटे दल के दो विधायकों ने समर्थन दिया है। अचलपुर के विधायक बाचचु काडु और मेलघाट से विधायक राजकुमार पटेल ने शिवसेना को समर्थन देने की पेशकश की। इस बीच, बीजेपी शिवसेना की बगावत की स्थिति में अन्य छोटे दलों के साथ या अन्य विकल्पों के माध्यम से सरकार बनाने पर विचार कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यदि शिवसेना बीजेपी के सीएम को लेकर राजी नहीं होती है तो फिर देवेंद्र फडणवीस अल्पमत की सरकार का गठन कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने 2014 में किया था। भले ही तब उन्होंने अल्पमत की सरकार का गठन किया था, लेकिन शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने उन्हें बिना शर्त समर्थन दे दिया था।

288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है। बीजेपी के पास 105 विधायक हैं तो शिवसेना के 56 हैं, जबकि एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। इसके अलावा 13 निर्दलीय विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी के पास यदि 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन के अलावा एनसीपी का समर्थन आ जाता है तो फिर वह शिवसेना के बगैर भी सरकार का गठन कर सकती है।


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