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मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Mumbai Assembly Elections) से पहले मुंबई कांग्रेस (Mumbai Congress) में अंदरूनी कलह की वजह से पार्टी शहर में केवल चार सीटें ही जीत पाई है जो 2014 की तुलना में एक कम है. कांग्रेस ने मुंबई की 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के उम्मीदवार असलम शेख (मलाड पश्चिम), वर्षा गायकवाड़ (धारावी) और अमीन पटेल (मुम्बादेवी) अपनी सीट बचा पाए जबकि पार्टी उम्मीदवार ज़ीशान सिद्दीकी ने शिवसेना से बांद्रा पूर्व सीट छीन ली. मुंबई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नसीम खान चांदीवली सीट पर 409 वोटों से हार गए.
साल 2014 में, कांग्रेस ने मुंबई में पांच सीटें जीती थीं. तब उसने 36 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वडाला से जीतने वाले उसके मौजूदा विधायक कालिदास कोलम्बकर कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल हो गए थे और भगवा दल के टिकट पर वह इस सीट से पुन: निर्वाचित हो गए हैं. चुनाव से पहले, मुंबई कांग्रेस के नेताओं में फूट और वाक युद्ध चला जिससे कांग्रेस की संभावनाओं पर असर पड़ा.
निरुपम ने प्रचार से कर ली थी दूरी
मुंबई कांग्रेस के पूर्व नेता संजय निरुपम टिकट बंटवारे से नाराज होकर प्रचार अभियान से दूर हो गए थे. उन्होंने खुले तौर पर पार्टी नेतृत्व पर हमला किया था और इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व से फटकार भी पड़ी थी.
गुरुवार को आने के साथ ही निरुपम ने पार्टी के मुंबई नेतृत्व और एआईसीसी महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘‘ पार्टी में जवाबदेही तय की जानी चाहिए. मुंबई में सीटों के लिए उम्मीदवारों को किसने चुना और उन्हें जिताने के लिए क्या प्रयास किए गए?’’
पूर्व सांसद ने कहा, ‘‘समय की जरूरत सांगठनिक सुधार है और पार्टी नेताओं को अपना अहंकार छोड़ने और जमीन पर काम करने वाले नेताओं का सम्मान करने की जरूरत है.’’ उन्होंने दुख जताया कि जब उन्होंने मुंबई में पार्टी के काम करने के तरीके पर सवाल उठाया तो किसी ने भी उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की.

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