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दक्षिण भारतीय डायरेक्टर लिजो जोस पेल्लीसेरी की फिल्म जलीकट्टू देश और दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. लंदन फिल्म फेस्टिवल में केरल के बैड बॉय से संबोधित किए गए लिजो की ये कहानी बेहद दिलचस्प है. एस हरीश और आर जयकुमार की किताब माओइिस्ट पर आधारित इस फिल्म की कहानी का मेन किरदार एक भैंस है जो अपनी जान बचाने की कोशिश कर रही है जिसके चलते पूरे गांव में हडकंप मचा रहता है.

दरअसल,वार्के और एंटनी नाम के शख्स एक कसाईखाना चलाते हैं जहां भैंसों को मारकर उन्हें बेचा जाता है. एक रात को एक भैंस वहां से गायब हो जाती है और पूरे गांव में हुडदंग मचाने लगती है.  गांववाले स्थिति को काबू में करने की कोशिश करते हैं और एक एक्स स्टाफ मेंबर की मदद मांगते हैं. ये सदस्य एक शिकार करने वाली बंदूक के साथ गांव में पहुंचता है जो एंटनी को बिल्कुल पसंद नहीं आता है. खास बात ये है कि फिल्म में सेंट्रल किरदार भैंस ही बनी रहती है और फिल्म के विजुएल देखकर अंदाजा होता है कि इस फिल्म में सिनेमाटोग्राफी का स्तर हॉलीवुड के लेवल का है.

कई फिल्म फेस्टिवल में सराही जा चुकी ये फिल्म भारत में भी रिलीज हो चुकी है और देश के कई हिस्सों में इसे देखा जा सकता है. इस भागदौड़ के बीच इंसानों के बीच कई इमोशन्स देखने को मिलते हैं. इस फिल्म की कहानी सुनने में भले ही काफी साधारण लगे लेकिन फिल्म की सिनेमाटोग्राफी और बेहतरीन स्क्रिप्ट के चलते ये अंत तक दर्शकों को बांधने का काम करती है. फिल्म के सिनेमाटोग्राफर गिरीश गंगाधरण ने अद्भुत काम किया है और वे इस फिल्म के सहारे साल की बेस्ट शॉट की गई फिल्मों में अपनी इस फिल्म का नाम भी जोड़ सकते हैं.  

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