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मुंबई में क्राइम ब्रांच ने फर्जी डॉक्टरों के ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो यौन बीमारियों का इलाज करते थे। डीसीपी शहाजी उमाप ने बताया कि हमने इस केस में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी फर्जी डॉक्टर दसवीं या बारहवीं पास हैं। किसी के पास भी डॉक्टरी की डिग्री नहीं है। लेकिन सभी किसी न किसी डॉक्टर के पास अतीत में कंपांउडर रहे थे, इसलिए उन्हें कुछ बीमारियों के इलाज का बेसिक ज्ञान जरूर है।

इन सभी फर्जी डॉक्टरों ने नागपाडा, भायखला, डी.बी मार्ग, एन. एम जोशी मार्ग में अपने-अपने क्लीनिक खोल रखे थे। इन क्लीनिक में उन्होंने अलग डॉक्टरों के बीयूएमएस, बीएचएमएस डिग्री की कलर झेरॉक्स लगा रखी थी। सीनियर इंस्पेक्टर अशोक खोत, नितिन पाटील की जांच में यह बात भी सामने आई कि इन फर्जी डॉक्टरों ने मुंबई में अलग-अलग जगह--खासतौर पर झोपड़पट्टी इलाकों में-- पोस्टर भी चिपका रखे थे। इसमें उनके मोबाइल नंबर भी लिखे रखे थे।

पोस्टर में लिखा रहता था--यौन बीमारियों का शर्तिया इलाज। कुछ लोग जब उनसे संपर्क करते थे, तो ये फर्जी डॉक्टर मामूली बीमारी को भी इतनी गंभीर बता देते थे, कि सामने वाला बेहद डर जाता था। इसके बाद ये फर्जी डॉक्टर इलाज के लिए दवाइयां अपने पास से देते थे और फीस में मरीज से तीन से पांच हजार रुपये तक ले लेते थे। कुछ लोग सामान्य स्थितियों में अपने आप ठीक हो जाते थे। जो लोग नहीं ठीक हो पाते थे, वे शर्म की वजह से पुलिस में नहीं जा पाते थे। क्राइम ब्रांच का कहना है कि हर फर्जी डॉक्टर महीने में पांच से सात लाख रुपये न्यूनतम कमाई कर रहा है।


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