Latest News

गावस्कर ने 1987 में अपना आखिरी टेस्ट खेला था, जबकि सहवाग ने 2002 में बतौर ओपनर अपने करियर की शुरुआत की थी। भारत के सफलतम शीर्ष पांच टेस्ट ओपनरों में गौतम गंभीर, मुरली विजय और नवजोत सिंह सिद्धू के नाम शामिल हैं। मौजूदा बल्लेबाजों में सिर्फ शिखर धवन ही 34 मैचों में 2315 रन बनाकर छठे स्थान पर मौजूद हैं। ऐसे में रोहित के पास बड़ा मौका है कि वह खुद को सलामी बल्लेबाज के तौर पर टीम में स्थापित करें।

लक्ष्मण समेत कई क्रिकेटर हुए फेल : रोहित को वनडे और टेस्ट में मध्य क्रम के बल्लेबाज के तौर पर ही शामिल किया गया। इसके बाद महेंद्र सिंह धौनी ने रोहित को वनडे व टी-20 में ओपनिंग के तौर पर उतारा। रोहित को टेस्ट में अब तक गिने-चुने ही मौके मिले हैं और उन्हें इस फॉर्मेट का विशेषज्ञ नहीं माना जाता है। इंग्लैंड में हुए विश्व कप में पांच शतक लगाने के कारण चयनकर्ताओं को उन्हें मजबूर होकर टेस्ट टीम में चुनना पड़ा। अब भारतीय संयोजन कुछ इस तरह का है कि रोहित को अंतिम एकादश में खिलाना है तो उनके लिए ओपनिंग की ही जगह बचती है।
 
2013 चैंपियंस ट्रॉफी में वह वनडे में पहली बार ओपनिंग पर उतरे थे। अब क्रिकेट के सबसे बड़े प्रारूप में उनके लिए यह चुनौती इंतजार कर रही है। रोहित ने अब तक 27 टेस्ट खेले हैं जिसमें तीन शतक के साथ 39.62 के औसत से 1585 रन बनाए हैं। उन्होंने यह सारे रन तीन, चार, पांच और छठे नंबर पर खेलते हुए बनाए हैं। रोहित पहले बल्लेबाज नहीं है जिन्हें टेस्ट में ओपनर के तौर पर प्रमोट किया जा रहा है। वीवीएस लक्ष्मण, दिनेश कार्तिक, अजय जडेजा, पार्थिव पटेल के अलावा पिछले साल ही हनुमा विहारी को ओपनिंग में उतारा गया लेकिन ये सफल नहीं हो सके।
 
लक्ष्मण ने 1997 से 2007 के बीच 15 मैचों में ओपनिंग की, जिसमें वह सिर्फ 685 रन बना पाए, जिसमें मात्र एक शतक था। कार्तिक आठ मैच में ओपनिंग करते हुए 572 रन ही बना पाए, जिसमें एक शतक शामिल था। जडेजा 12 मैच में ओपनिंग करते हुए बिना किसी शतक के 528 रन ही जोड़ पाए। ओपनर पटेल के नाम पांच मैचों में 265 रन ही दर्ज हैं केएल राहुल की खराब फॉर्म के चलते विहारी ने ओपनिंग की और सिर्फ 21 रन बना पाए।
 
कई खिलाड़ियों के करियर हुए बर्बाद : घरेलू क्रिकेट के कई ऐसे बड़े नाम रहे हैं, जिन्हें टेस्ट टीम में सलामी बल्लेबाज के तौर पर जगह मिली, लेकिन उनकी काबिलियत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में काम नहीं आई। 1990 के बाद के क्रिकेट पर नजर डाली जाए तो वसीम जाफर, दीप दास गुप्ता, शिवसुंदर दास, समीर दिघे, सदागोपन रमेश, आकाश चोपड़ा, डब्ल्यूवी रमन, अभिनव मुकुंद, वर्तमान बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर जैसे बल्लेबाजों को टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग का मौका लेकिन इन्हें मनमाफिक सफलता नहीं मिल सकी।
 
मजबूरी के ओपनर : एक समय ऐसा भी आया जब टीम इंडिया के पास बतौर ओपनर कोई विशेषज्ञ बल्लेबाज नहीं था, तब राहुल द्रविड़, चेतेश्वर पुजारा, सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, नयन मोंगिया, संजय बांगर, यहां तक की युवराज सिंह को भी टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग पर उतारा गया। द्रविड़ ने 14, पुजारा ने चार, गांगुली और सचिन ने एक-एक, मोंगिया ने 15, बांगर ने आठ और युवराज ने एक टेस्ट में ओपनिंग की है।
 
यही है रोहित का सबसे बड़ा टेस्ट : रोहित के पास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 12 वर्ष का अनुभव है। वनडे में सफल ओपनर बनने के बाद अब उनके पास टेस्ट टीम में बतौर अपनी जगह पक्की करने का मौका है। ठीक उसी तरह से जैसे 17 वर्ष पहले वीरेंद्र सहवाग ने किया था। सहवाग जैसी काबिलियत रोहित में भी है। अगर वह ऐसा करने में सफल रहे तो भारत को सलामी बल्लेबाज की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। अगर दूसरा पहलू देखें और रोहित असफल हो गए तो क्रिकेट इतिहास में युवराज सिंह की तरह वनडे के सबसे सफल और टेस्ट क्रिकेट के सबसे विफल क्रिकेटरों में उनका नाम शुमार होगा। अब यह रोहित के ऊपर है कि वह अपना नाम किस लिस्ट में लिखवाते हैं।
 

Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement