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मुंबई : पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक की फोर्ट ब्रांच में आने वाले सैकड़ों लोगों की भीड़ में धापू जैन और उनकी बहू प्रियल भी शामिल थीं। अनियमितताओं के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंक के लेन-देन पर अगले छह महीने के लिए बैन लगाया है। प्रतिबंध लगाने की खबर मिलने के बाद वे दोनों अपने पैसे के बारे में पूछताछ करने के लिए बैंक की शाखा में पहुंची थीं। बैंक में अपना निवेश कर चुके सैकड़ों लोग निराशा के भंवर में डूबे हैं। मंगलवार को ऐसे ही हताश लोगों में से एक धापू जैन की हिला देने वाली तस्वीर सामने आई है। 

धापू और उनके पति, 82 वर्षीय, मोहन जैन ने पिछले 15 वर्षों के लिए बैंक में तीन एफडी (सावधि जमा) के जरिए कुल 1 लाख रुपये का निवेश किया था। अब उनके पैसे का क्या होगा है, इस पर अनिश्चय की स्थिति होने और ब्रांच में बैंक अधिकारियों के कोई जवाब नहीं देने पर धापू का दर्द छलक उठा। बैंक अधिकारियों पर चीखते हुए अचानक उन्होंने अपनी बहू की गर्दन पकड़ ली और कहा, 'मुझे उसे मार देना चाहिए, मेरे जीवन को भी समाप्त करो! जब हमारा सारा पैसा हमसे छीन लिया गया तो हम कैसे बचेंगे?'

मोहन जैन तकरीबन 40 साल से अपने गुजारे के लिए कटे-फटे नोटों का आदान-प्रदान करते थे। अपनी सारी बचत वह पीएमसी बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट में डाल देते थे। जैन ने हमारे सहयोगी मुंबई मिरर को बताया, 'पिछले 15 वर्षों के दौरान मैं कुछ पैसे बचाने में कामयाब रहा और सारा पैसा एफडी में डाल दिया गया। अब हमें नहीं पता कि क्या करना है। पीएमसी बैंक के बारे में खबर को सुनने के बाद से हम कुछ भी नहीं खा पाए हैं।'

जैन दंपती की चार बेटियां और दो बेटे हैं। उनकी एक बेटी इस दुनिया में नहीं है। अपने पीछे वह एक बेटे को छोड़ गई। जैन अपने मासिक खर्च में से प्रति माह 3,000 रुपये उसके लिए निकालते हैं। वह कहते हैं, 'अब मेरे लिए ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि पैसा फंस गया है।' बुजुर्ग दंपती अब अपने बेटे धवल के साथ रहते हैं। बेटा एक साड़ी की दुकान में काम करता है जबकि बहू प्रियल बोरा बाजार में काम करती हैं। धवल का कहना है, 'हम नहीं जानते कि मेरे माता-पिता के पैसे का क्या होगा। मेरी बहन के निधन के बाद वे मेरे भतीजे की मदद करते थे, अब यह भी मुश्किल लग रहा है। सरकार को निर्दोष जमाकर्ताओं को साफ करना चाहिए कि उनके पैसे का क्या होगा, जिससे उनकी घबराहट शांत हो सके।'

भांडुप में पीएमसी मुख्यालय के बाहर भी यही मंजर नजर आया। शाखाओं में अपने पैसे के बारे में जानने के लिए पहुंचने वालों में पीएमसी ग्राहक, ऑटो-रिक्शा चालक, छोटे व्यवसायी, पेंशनर्स, गृहणियां और सीनियर सिटिजन भी शामिल थे। मुख्यालय के बाहर प्रतीक्षा करने वालों में एक ऑटो ड्राइवर भी था, जो बैंक में जमा अपने 10,000 रुपये के बारे में चिंतित था। इसके साथ ही एक ऐसा कारोबारी भी वहां मौजूद था, जिसके पीएमसी खाते से 60 हजार रुपये की ईएमआई कटती थी। एक गृहिणी भी वहां पहुंची, जिसका शायद दूसरा कोई बैंक अकाउंट नहीं है।

आरबीआई ने 23 सितंबर को पीएमसी बैंक पर छह महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। लोन और डिपॉजिट पर रोक लगाने के साथ ही बैंक में खाता रखने वाले ग्राहक 1000 रुपये से ज्यादा रकम नहीं निकाल सकते हैं। आरबीआई ने बैन लगाते हुए कहा है कि इस आदेश को बैंक का लाइसेंस रद्द होने के तौर पर न देखा जाए और वह हालात को देखकर आगे आदेश में बदलाव कर सकता है। ऐसे में लोग अपनी जमापूंजी के बारे में अनिश्चिय की स्थिति में हैं।



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