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मुंबई : हिंदुस्थान में निर्मित डॉर्नियर-२२८ विमान अब यूरोप के आकाश में गरजेंगे। यूरोपियन यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी ने डीजीसीए की मान्यता को मंजूर कर लिया है। इस स्वीकृति के बाद डॉर्नियर का उपयोग अब यूरोप में कमर्शियल तौर पर किया जा सकेगा।
पहला मेड इन इंडिया प्लेन कमर्शियल रीजनल फ्लाइट के रूप में यूरोप के आकाश में उड़ता नजर आएगा। २०१७ में इस विमान को हिंदुस्थानी एजेंसी नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से कमर्शियल फ्लाइट के रूप में टाइप सर्टिफिकेशन (टीसी) की मंजूरी मिल चुकी है। इसे हिंदुस्थान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने तैयार किया है, जिसे बहुउपयोगी हल्के यातायात एयरक्राफ्ट के रूप में यात्रियों की आवाजाही के लिए उपयोग में लाने की मंजूरी है। अब इसके यूरोप में उड़ान भरने का रास्ता साफ हो गया है। डीजीसीए के सर्टिफिकेशन को यूरोपियन यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (ईएएसए) ने स्वीकार कर लिया है। इस संदर्भ में डीजीसीए के मुखिया अरुण कुमार ने एक अखबार से बात करते हुए बताया कि अब डॉर्नियर का उपयोग यूरोप में कमर्शियल तौर पर किया जा सकेगा। यह मेक इन इंडिया कार्यक्रम की बड़ी सफलता है। १९ सीटोंवाले डॉनियर-२२८ विमान का उपयोग हिंदुस्थान में सेना और क्षेत्रीय हवाई सेवाए प्रदाताओं द्वारा उपयोग किया जाता रहा है। यह ४२८ किमी की गति से ७०० किमी के रेंज तक उड़ान भर सकता है। ये रात में भी उड़ान भरने में सक्षम है।


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