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इस्लामाबाद: पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने यूनिसेफ को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कश्मीर मुद्दे का हवाला देते हुए सद्भावना दूत के तौर पर नियुक्त बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को हटाने की मांग की है. मजारी ने यूनिसेफ को भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में की गई कार्रवाई पर भारतीय अभिनेत्री के कट्टर राष्ट्रवाद और समर्थन का हवाला दिया.
यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरिकेटा फॉर को लिखे एक पत्र में मजारी ने कहा, "प्रियंका का परमाणु युद्ध सहित युद्ध को समर्थन करना संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता को कमजोर करता है. यूनिसेफ को तुरंत प्रियंका चोपड़ा को अपने दूत के पद से हटाना चाहिए. नहीं तो शांति के लिए सद्भावना दूत जैसी नियुक्तियां विश्वभर में एक तमाशा बनकर रह जाएंगी." माजरी ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दिए गए विशेष दर्जे को रद्द करने और वहां पर कथित रूप से कश्मीरी मुसलमानों की जातीय सफाई के कारण इस क्षेत्र में पनपे संकट का भी हवाला दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम में चालीस लाख भारतीय मुसलमानों को उनकी नागरिकता से वंचित कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय सुरक्षा बलों ने कश्मीर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ पेलेट गन के इस्तेमाल को तेज कर दिया है. जिस तरह से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारतीय प्रधानमंत्री पर हिंदू वर्चस्ववादी और नस्लवादी होने का आरोप लगा चुके हैं, ठीक उसी तरह मजारी ने भी अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार की पूरी नीति जातीय सफाई, नस्लवाद, फासिज्म और नरसंहार के नाजी सिद्धांत की तरह है. चोपड़ा ने सार्वजनिक रूप से भारत सरकार के पक्ष का समर्थन किया है. उन्होंने भारतीय रक्षा मंत्री द्वारा पाकिस्तान को परमाणु खतरे का भी समर्थन किया है."  मजारी ने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने परमाणु नीति में 'नो फस्र्ट यूज' की भारत की प्रतिबद्धता को भविष्य की परिस्थितियों के अधीन बताया था.
मजारी ने कहा, "चोपड़ा को शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र सद्भावना दूत के रूप में बनाए रखना पूरी तरह से शांति और सद्भावना के सिद्धांतों के खिलाफ है." मजारी की अपील इमरान खान सरकार की उन कोशिशों का ही हिस्सा है, जिसमें वे चाहते हैं कि कश्मीर के लिए विशेष दर्जे को रद्द करने के फैसले की वैश्विक समुदाय द्वारा कड़ी निंदा की जाए. इस मुद्दे पर पाकिस्तान अपने अच्छे दोस्त चीन को छोड़कर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में विफल रहा है.

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