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उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के बाद अब दक्षिण और पश्चिम भारत के कई इलाक़े बाढ़ की मार झेल रहे हैं.


गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में जान-माल का भारी नुक़सान हुआ है और लाखों की संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं.


मॉनसून सीज़न में आसमान से आफ़त बरस रही है. नदियां उफ़ान पर हैं और कई बांधों के ऊपर से पानी बह रहा है.


नदियों के किनारे के रहने वालों को सुरक्षित स्थानों का रुख़ करना पड़ा है तो वहीं निचले इलाकों में पानी भर जाने से यातायात और संचार ठप हो गया है. लगातार हो रही बारिश के कारण भूस्खलन के वाक़ये भी ख़ूब हो रहे हैं.


महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हालात सुधर रहे हैं मगर फिर बारिश हुई तो बांधों से पानी छोड़ना पड़ेगा जो कर्नाटक प्रवेश करेगा.इसी तरह से केरल और गुजरात के लिए भी आने वाले कुछ घंटे बेहद अहम हैं.


मगर इस दौरान कहीं से दिल दुखाने वाली ख़बरें आ रही हैं तो कहीं से ऐसे समाचार भी आ रहे हैं जो थोड़ी राहत और सुखद अनुभव दे रहे हैं.


जब सैनिकों के साथ मनाई ईद


भारी बारिश ने महाराष्ट्र के कई इलाक़ों में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है. यहां से जब कृष्णा नदी कर्नाटक में प्रवेश कर रही है तो उसमें पानी का स्तर सामान्य से पाँच फ़ुट ऊपर देखने को मिल रहा है.


इस कारण यहां पर कई इलाक़े पानी में डूब गए हैं और पक्के घरों तक को नुक़सान पहुंचा है.


कर्नाटक के बेलगावी ज़िले की रायबाग तहसील में गांव है शिरगुर. यह गाँव बाढ़ से प्रभावित है.


10 और 11 अगस्त को मराठा रेजिमेंट के सैनिकों ने यहां पर राहत अभियान चलाया था और सौ से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था.


ऐसे में स्थानीय लोगों ने सैनिकों के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें सोमवार को ईद का न्योता दिया था.


यहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने वाली टीम की अगुवाई करने वाले मेजर राजपाल सिंह राठौर ने हमारे सहयोगी इमरान क़ुरैशी को बताया, "हमारी टीम मराठा रेजिमेंट सेंटर बेलगाम से आई है. हमने पिछले दो दिनों में 100 से ज़्यादा लोगों को रेस्क्यू किया. इसके बाद हम रुके हुए थे कि कहीं फिर ज़रूरत न पड़े. लोगों ने हमें ईद का न्योता दिया था. हम गए, हमने दुआ की और फिर सेवइयां और बिरयानी भी खाई."


मेजर राजपाल की टीम में 40 सदस्य हैं. वो कहते हैं कि पूरी टीम को अच्छा लगा.


कर्नाटक के कई इलाक़ों में स्थिति अब भी ख़राब है. सोमवार शाम तक कम से कम 42 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी. जलधाराओं में उफ़ान के कारण बांधों से भी पानी छोड़ना पड़ रहा है.


कर्नाटक के जल संसाधन सचिव राकेश सिंह ने कहा कि पानी को छोड़ते समय यह ध्यान रखा जा रहा है कि आगे के गाँव न डूब जाएं. उन्होंने कहा कि ऐसे में आने वाले कुछ घंटे बहुत अहम हैं और बारिश हुई तो मुश्किल बढ़ सकती है.


बाढ़ का पूर्वानुमान करना मुश्किल क्यों है

केरल किस हालत में है


कर्नाटक से भी ज़्यादा ख़राब स्थिति केरल की है जहां पर सोमवार शाम तक 76 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.


यहां के मल्लपुरम ज़िले में हैं जो राज्य का दूसरा सबसे अधिक प्रभावित ज़िला है. इस ज़िले में ही 24 लोगों की जान चली गई है.

 सूत्रों के मुताबिक यहां पर कवलपरा गांव में पांच दिन पहले भूस्खलन हुआ था जिसमें 20 घर दब गए थे. तब से लगातार ऑपरेशन चल रहा है और अब तक 11 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं.


इस बीच जो लोग बचे हैं, वे राहत शिविरों में रह रहे हैं. दबे हुए लोगों के जीवित बचने की उम्मीद कम है. ऐसे में शिविरों में रह रहे उनके परिजन बदहवास होते जा रहे हैं.

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