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नई दिल्ली : टीम इंडिया में नए कोच के चयन के लिए आवेदन की तारीख खत्म हो चुकी है। अब कोच पद के लिए किए गए आवेदनों में से कुछ नामों को शॉर्ट लिस्ट कर कपिल देव की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय क्रिकेट अडवाइजरी कमिटी (CAC) इंटरव्यू के लिए बैठेगी। इस समिति में पूर्व कप्तान कपिल देव के अलावा टीम इंडिया के पूर्व कोच अंशुमन गायकवाड़ और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व खिलाड़ी शांता रंगास्वामी हैं। लेकिन इससे पहले अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीसीसीआई के नए संविधान के मुताबिक यह समिति नया कोच चुन सकती है? दरअसल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अंदर और बाहर इस बात पर भी चर्चा है कि इस कमिटी के सदस्यों पर 'हितों के टकराव' का मामला तो नहीं बनता। अब इससे पहले कि कपिल देव की अध्यक्षता वाली यह समिति इंटरव्यू के लिए बैठे, बीसीसीआई में नियुक्त लोकपाल और एथिक ऑफिसर जस्टिस डीके जैन को इस मामले पर अंतिम निर्णय लेने को कहा गया है। क्रिकइन्फो की एक रिपोर्ट के मुताबिक हितों के टकराव का यह मामला सबसे पहले महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासनिक समिति (CAC) की सदस्य डायना इडुल्जी ने हाल ही नई दिल्ली में आयोजित हुई सीएसी की बैठक में उठाया था। सीएसी साल 2017 से बीसीसीआई के कामकाज की निगरानी कर रही है।  अब यह मामला मध्य प्रदेश क्रिकेट असोसिएशन (MPCA) के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता ने सीओए को पत्र लिखकर उठाया है। इस पत्र में गुप्ता ने कपिल देव पर सवाल खड़े करते हुए लिखा है सीएसी के तीनों सदस्य बीसीसीआई के संविधान के मुताबिक पात्रता नहीं रखते, क्योंकि भारतीय क्रिकेट में एक व्यक्ति एक ही पद ग्रहण कर सकता है।  कपिल देव सीएसी के प्रमुख होने के अलावा हाल ही बनी भारतीय क्रिकेटर्स असोसिएशन (ICA) की स्टीयरिंग कमिटी के भी सदस्य हैं। इसके अलावा कपिल भारतीय चैनलों पर विशेषज्ञ के रूप में भी काम करते हैं। इसी तरह पूर्व कोच अंशुमन गायकवाड़ भी टीवी पर विशेषज्ञ की भूमिका निभाने के साथ-साथ बीसीसीआई की मेंबर ऐफीलिएशन कमिटी का हिस्सा हैं, यह बीसीसीआई की ही एक उपसमिति है, जो स्टेट असोसिएशन को सदस्यता देने का काम करती है। इसके अलावा रंगास्वामी भी आईसीए की निदेशक हैं। 


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