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मुंबई  : साल 2019 की शुरुआत में इस्लामिक स्टेट से संपर्क के शक में महाराष्ट्र से पकड़े गए 10 लोगों से हुई पूछताछ के बाद ऐंटी टेररिस्ट स्क्वॉड ने बड़ा खुलासा किया है। एटीएस की पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि इस दल में शामिल संदिग्ध तल्हा पोट्रिक ने महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मुंब्रेश्वर मंदिर के महाप्रसाद में जहर मिलाने की साजिश रची थी। इस साजिश को दिसंबर में मंदिर परिसर में हुई श्रीमद भागवत कथा के दौरान अंजाम देने की कोशिश की गई थी, लेकिन दहशतगर्द इसमें सफल नहीं हो सके थे। एटीएस ने यह दावा भी किया कि पकड़े गए संदिग्ध इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक की विचारधारा से प्रभावित थे। 

एटीएस द्वारा सोमवार को इस मामले में दायर की गई चार्जशीट में कहा गया कि संदिग्धों ने चार सौ साल पुराने मुंब्रेश्वर मंदिर के महाप्रसाद में जहर मिलाने की साजिश रची थी। जिस दिन इस साजिश को अंजाम देना था, उस दिन मंदिर के महाप्रसाद को 40 हजार से ज्यादा लोगों ने खाया था। दहशतगर्दों की साजिश थी कि महाप्रसाद में जहर मिलाकर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जान ली जा सके। एटीएस ने इस मामले में चार्जशीट दायर करते हुए सभी संदिग्धों की पहचान बताई है, जिनमें से 9 बालिग और 1 संदिग्ध नाबालिग है। 

एटीएस की चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि यह सभी लोग विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक की विचारधारा से प्रभावित थे। जाकिर नाइक वही शख्स है, जिसपर राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भारत में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर तमाम मुकदमे दर्ज किए हैं। एटीएस के अनुसार, इन सभी संदिग्धों के सोशल मीडिया अकाउंट्स से जाकिर नाइक की फोटोज और विडियो पाए गए हैं। 

एटीएस ने अपनी चार्जशीट में यह भी कहा कि गिरफ्तार सभी संदिग्ध विदेशी हैंडलर्स के संपर्क में थे। गिरफ्तारी से पहले इस दल में शामिल जम्मान, सलमान, वारिस और फहाद ने हाइड्रोजन पराक्साइड की मदद से विस्फोटकों का निर्माण किया था। दल के मुखिया अबू हमजा और अन्य आरोपियों ने इन विस्फोटकों का ट्रायल किया था और आरोपियों ने मंदिर परिसर की रेकी भी की थी। 

एटीएस के मुताबिक, इन लोगों ने अपने टेलीग्राम अकाउंट पर आईएस के मिलिट्री साइंस चैनल के जरिए विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद सभी ने टेलीग्राम अकाउंट को डिलीट कर दिया था, जिससे किसी को भी इनकी साजिश का पता ना चल सके। जांच में पता चला है कि दल में शामिल मोहसिन खान ने सोशल मीडिया पर उम्मत-ए-मोहम्मदिया नाम का ग्रुप बनाया था, जिसमें आईएस से जुड़ी जानकारी पोस्ट की जाती थी। इस ग्रुप में सिर्फ उन्हीं विश्वासपात्र लोगों को जोड़ा जाता था, जो कि आईएस की विचारधारा से प्रभावित हों। इस ग्रुप के सभी सदस्य विदेशी हैंडलरों के संपर्क में भी रहते थे। 


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