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मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने दो लोगों को सुनाई गई मौत की सजा पर शुक्रवार को अगले आदेश तक रोक लगा दी। ये लोग 2007 में पुणे की एक बीपीओ कर्मचारी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी पाए गए हैं। पुरुषोत्तम बोराटे और प्रदीप कोकाडे नाम के इन दोनों दोषियों को 24 तारीख को फांसी दी जानी थी। पुणे की अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोनों ने पिछले महीने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर फांसी की सजा पर स्थगन लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी दया याचिका पर फैसला करने में महाराष्ट्र के राज्यपाल और राष्ट्रपति ने 'अत्यधिक देरी' की है। हाई कोर्ट ने मई 2015 में इस सजा को बरकरार रखा था। राष्ट्रपति ने इनकी दया याचिका मई 2017 में ठुकरा दी थी। 

विप्रो बीपीओ में काम करने वाली एक लड़की के साथ कैब ड्राइवर बोराटे और उसके सहयोगी कोकाडे ने एक नवंबर, 2007 को बलात्कार किया और उसके दुपट्टे से गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी। दोनों ने शव की शिनाख्त से बचने के लिए उसके चेहरे को भी बिगाड़ दिया था। 


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