कोस्टल रोड शुरू नहीं, लागत 1,000 करोड़ रुपये बढ़ी
मुंबई : मुंबई के महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट कोस्टल रोड का निर्माण अभी
पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन इस परियोजना की लागत में 1000 करोड़ रुपये
का इजाफा हो चुका है। बताया जा रहा है कि परियोजना के निर्माण में 10 महीने की देरी
के कारण लागत बढ़ी है। अगर परियोजान का काम शुरू होने में और देर हुई, तो खर्च और भी
बढ़ सकता है। परियोजना की लागत 1000 करोड़ रुपये बढ़ने के बाद सरकार की नींद टूटी है।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को विधान परिषद में कहा कि 100 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली
परियोजनाओं में आने वाली अड़चनों को तीन महीने में दूर करने के लिए एक अलग प्राधिकरण
बनाया जाएगा।
कोस्टल रोड पर चर्चा
बुधवार को विधान परिषद में कांग्रेस विधायक अनंत गाडगील, भाई
जगताप, राहुल नार्वेकर, आनंद ठाकुर व अन्य सदस्यों ने कोस्टल रोड से संबंधित सवाल उठाया
था। सदस्यों के पूछे सवालों का जवाब देते हुए शहरी विकास राज्य मंत्री योगेश सागर ने
कहा कि कोस्टल रोड निर्माण से संबंधित सभी आवश्यक अनुमतियां केंद्र सरकार से मिल गईं
हैं।
योजना से प्रभावित होने वाले कोलीवाडा और मछलीमारों की समस्याओं
का हल किया जाएगा। इस पर सदस्या सहमत नहीं हुए। इस पर मुख्यमंत्री ने सदस्यों से प्रश्नों
का उत्तर देते हुए कहा कि पहले यह मामला मुंबई हाई कोर्ट में गया। जिसके खिलाफ सरकार
सुप्रीम कोर्ट गई। इसके देरी हुई हुई। इस वजह से परियोजना की लागत बढ़ गई। उन्होंने
कहा कि परियोजना की लागत प्रतिदिन बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन प्रॉजेक्ट
है। नीदरलैंड के प्रधानमंत्री जब भारत दौरे पर आए थे, तब उन्हें कोस्टल रोड का एक प्रजेंटेशन
दिखाया था। उन्होंने इसकी खूब सराहना की थी।
प्राकृतिक आपदाओं से बचाएगा
मुंबई कोस्टल रोड परियोजना का फायदा बताते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र
फडणवीस ने कहा कि मुंबईकरों को सुनामी आदि प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में कोस्टल रोड
कारगर साबित हो सकता है। कोस्टल रोड से मुंबई शहर को सुनामी से भी सुरक्षित रखा जा
सकता है। इसके अलावा अन्य प्राकृतिक आपदाओं में कोस्टल रोड कारगर साबित हो सकता है।
साथ ही, पर्यटकों के लिए भी कोस्टल रोड आकर्षण का केंद्र रहेगा। उन्होंने सदन को बताया
कि मरीन ड्राइव से कांदिवली के बीच 29 किमी इसकी कुल दूरी है।
परियोजना से प्रभावित कोलीवाड़ा में रहने वाले बड़ी संख्या में
कोली समाज को किसी प्रकार की दिक्क्त नहीं आएगी। सदस्यों के सवाल के जबाब में मुख्यमंत्री
ने कहा कि कोली समाज व मच्छीमार जो परियोजना से प्रभावित होंगे, उनको मुआवजा दिया जाएगा
और आवश्यकता पड़ने पर उनका पुनर्वसन किया जाएगा। भूमिगत मेट्रो के काम के बारे में कई
लोग अदालत चले जाते है।
इस तरह से परियोजना प्रभावित नहीं हो इसके लिए सरकार क्या कदम
उठा रही है। इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि 100 करोड़ रुपये से अधिक लागत
वाली परियोजनाओं में आने वाली अड़चन को तीन महीने के अंदर दूर किया जाएगा। इसके लिए
विधि व न्याय विभाग से सलाह मशविरा करके निर्णय लिया जाएगा। योजना से प्रभावित मछलीमारों
को मुंबई ट्रान्स हार्बर लिंक रोड की तर्ज पर मुआवजा दिया जाएगा, पुनवर्सन किया जाएगा।